यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज सभी विपक्षी दलों के नेताओं को रात्रिभोज पर आमंत्रित किया है। इसे बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के ताजा प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। संसद में सरकार पर हमला बोलने के लिए विपक्षी दलों के हाथ मिलाए जाने की पृष्ठभूमि में यह पहल विपक्ष को मजबूत करने और 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए संयुक्त मोर्चे की नींव रखने की दिशा में एक कदम है।

सोनिया गांधी ने यह पहल ऐसे समय में की है जब गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस मोर्चे की संभावनाओं को लेकर चर्चा हो रही है। इससे पहले टीआरएस प्रमुख एवं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर विचार विमर्श करने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि हर लोकसभा चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद शुरू होती है लेकिन क्षेत्रीय दलों की अपनी-अपनी जरूरतें और अहम के टकराव में उनकी एकता बिखर जाती है।

कांग्रेस ने यूपीए की छतरी के नीचे इन दलों को एकजुट कर केंद्र की सत्ता में दस साल तक राज किया है। गठबंधन सरकार चलाने का उसका लंबा अनुभव है। सोनिया गांधी का डिनर उन सभी विपक्षी दलों के साथ आने को रेखांकित करेगा, जो संसद के भीतर और बाहर भाजपा का मुकाबला करेंगे।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बीएसपी के करीब आने से अलग-थलग पड़ रही कांग्रेस केंद्र की सियासत में बीजेपी को घेरने के लिए समान विचारों वाली पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है। कई राज्यों के चुनाव में जिस तरह बीजेपी को जीत मिल रही है उससे लगता है कि वो जीत के रथ पर सवार है। अब सभी की नजरें 2019 लोकसभा चुनाव पर टिकी हुई। लोकतंत्र के महापर्व की तैयारी में हर पार्टी जुट गई है। सोनियां गांधी की डिनर डिप्लोमेसी को भी इसी तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है।

ब्यूरो रिपोर्ट, APN

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