गुरुग्राम के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में बिल्डरों को दिए गए लाइसेंस सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिए हैं और ज़मीन को HUDA-HSIDC के कब्जे में दे दिया गया है। मामला इन गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन का है। हरियाणा की तत्कालीन भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार ने 2 बार भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी की थी। दोनों बार अधिग्रहण के डर से किसानों ने बिल्डरों को औने-पौने दाम मे ज़मीन बेच दी। 2007 और 2010 में दोनों बार आखिरी मौके पर अधिग्रहण की प्रक्रिया रोक दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकार की कार्रवाई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की नीयत से की गई थी। सरकार ने पहले अधिग्रहण रद्द किया, फिर अधिग्रहण से डरे किसानों से सस्ती कीमत पर ज़मीन खरीदने वाले बिल्डरों को तुरंत लाइसेंस भी दे दिए।

इस मामले में CBI पहले ही हरियाणा के तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एजेंसी इस पूरे मामले में लाभ कमाने वाले बिचौलियों का पता लगाए। कोर्ट ने साफ किया कि किसानों को बिल्डरों से मिले पैसे लौटाने की कोई ज़रूरत नहीं है। बिल्डर और उनके फाइनेंसर HUDA या HSIDC के पास जाएं जो कि उनके दावे की जांच के बाद उचित भुगतान करेंगे।

गुड़गांव में हुए कई ज़मीन सौदों की जांच के लिए गठित जस्टिस एस एन ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि आयोग के गठन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट 2 महीने में फैसला ले। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जस्टिस ढींगरा कमीशन की वैलिडिटी की चुनौती दी है। ढींगरा कमीशन हरियाणा में मुख्यमंत्री के तौर पर भूपिंदर सिंह हुड्डा के कार्यकाल में ज़मीन अधिग्रहण के बारे में जांच कर रहा है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को हाईकोर्ट को भरोसा देना होगा कि जब तक हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की याचिका का निपटारा नहीं होता तब तक ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक नही करेंगे। ढींगरा आयोग ने पिछले साल राज्य की मौजूदा खट्टर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। आयोग ने जिन सौदों की जांच की थी, उनमें सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का ज़मीन सौदा भी शामिल है।

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