किसान आंदोलन (Farmers Protest) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसानों को फटकार लागई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको विरोध प्रदर्शन करने का पूरा अधिकार है लेकिन सड़क जाम करके जनता को परेशान करने का कोई अधिकार नहीं है।
हम बार बार कानून तय नहीं करेंगे-Supreme Court
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, मामला विचारधीन है। लेकिन सड़कों को जाम नहीं किया जा सकता है। इस मामले पर विचार कर हल निकालना जरुरी हो गया है। हम बार बार इसके लिए कानून तय नहीं करेंगे।
कोर्ट में यह भी दलील दी गई है कि प्रदर्शन के कारण सड़क जाम है। लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़क को जल्द से जल्द खुलवाना जरूरी है।
26 जनवरी को हुआ मामला गंभीर था-तुषार मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदर्शन के दौरान 26 जनवरी को हुआ मामला गंभीर था। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। फिर भी प्रदर्शन हो रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि कभी-कभी आंदोलन वास्तविक कारण के लिए नहीं बल्कि अन्य कारणों के लिए भी होते हैं
किसान आंदोलन (Farmers Protest) को 1 साल होने वाला है। तीनों कृषि कानून (Farm Law) के विरोध में देश के अन्नदाता दिल्ली की दहलीज (Delhi Border) पर इंसाफ के लिए बैठे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून को रद्द नहीं करेगी तब वे राजधानी के दर से नहीं उठेंगे।
क्या चाहते हैं शहर के लोग अपना काम बंद कर दें
यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने किसानों को फटकार लगाई हो। इससे पहले भी कोर्ट किसानों से कह चुका है कि सड़क जाम करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं है। इस बीच किसानों ने जंतर -मंतर पर आंदोलन करने की मांग की थी और सुप्रीम कोर्ट में एक याचिक भी दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्तूबर को सुनवाई करते हुए किसानों को खूब फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक तो आप लोग कहते हैं कि कृषि कानून पर भरोसा नहीं है दूसरी ओर उसी कानून के खिलाफ लड़ने के लिए कानून का सहारा लेते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से पूछा था कि क्या आपको देश के कानून पर भरोसा नहीं है? न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अगुवाई वाली पीठ ने सवाल किया कि किसान महापंचायत क्या चाहती है कि शहर के लोग अपना बिजनेस करना बंद कर दें?
यह भी पढ़ें:
Farmers Protest: किसानों ने गाजीपुर बार्डर NH-24 रास्ता खोला, आंदोलन के चलते लंबे वक्त से था बंद