बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद कई बातें साफ हो गई है। बीजेपी अगला लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा और बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति के बल पर चुनावी मैदान में उतरेंगे। लेकिन एक बात पर अब भी असमंजस बरकरार है कि आखिर लोकसभा चुनाव के लिए यूपी का प्रभारी कौन होगा?

खासतौर से अमित शाह के यूपी प्रभारी बनने से पहले बीजेपी की हालत खराब थी। शाह ने यूपी में पार्टी को मजबूत किया वहीं देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा मिला। शाह की रणनीति का ही नतीजा था कि राज्य में बीजेपी ने 71 सीटें जीतीं। वहीं दो सीटें उसके साथ जुड़ने वाली अपना दल ने भी जीतीं। इसके बाद 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले ओम माथुर को यूपी का प्रभार दिया गया। ओम माथुर ने नेतृत्व में बीजेपी ने प्रचंड जीत भी दर्ज की। उसके बाद निकाय चुनाव आया और उसमें भी पार्टी को जीत हासिल हुई । लेकिन  फूलपुर, गोरखपुर और कैराना उपचुनावों में मिली हार के बाद पार्टी के अंदर ओम माथुर की स्थिति कमजोर हुई है।

हालत यह है कि राज्य में बीजेपी लगातार 3 उपचुनाव हार चुकी है और ओम माथुर पर्दे से बिल्कुल गायब हैं। वे मेरठ में हुई प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भी नहीं दिखे। सूत्र बताते हैं कि ओम माथुर ने खुद ही पार्टी आलाकमान के सामने यूपी के प्रभार को लेकर अपनी असमर्थता जता दी है और यही कारण है कि वे लगातार उत्तरप्रदेश से दूरी बनाए हुए हैं।

बता दे कि विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद ओम माथुर की राय को किसी भी मंच पर अहमियत नहीं दी गई । इतना हीं नहीं  उनको केंद्र में मंत्री बनाने की भी चर्चा रही, लेकिन उनके नाम पर मुहर नहीं लगी। कारण चाहे जो भी हो, लेकिन ओम माथुर बिल्कुल सक्रिय नहीं दिख रहे हैं । अब ये माना जा रहा है कि सूबे की राजनीति में गठबंधन की आहट और यादव परिवार में दो फाड़ देखते हुए बीजेपी हाईकमान जल्द ही अपना फैसला सुना सकते हैं। सूबे में सबसे अधिक चर्चा राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव के नाम को लेकर है। सूत्रों की मानें तो ओबीसी वोटर्स को अपने पाले में लाने के लिए बीजेपी जल्द ही उनके नाम का ऐलान कर सकती है। मेरठ की प्रदेश कार्यसमिति में भी भूपेंद्र यादव काफी एक्टिव रहे, जबकि ओममाथुर कार्यसमिति में नहीं पहुंचे। इससे पहले अमित शाह के वाराणसी दौरे के समय भी भूपेंद्र यादव उनके साथ नजर आए ।

ये भी माना जा रहा है कि कई और युवा चेहरों को सहप्रभारी के रूप में यूपी की राजनीति में सक्रिय किया जा सकता है। अक्सर बीजेपी के विधायक ये शिकायत करते नजर आते हैं कि सरकार में उनकी नहीं सुनी जा रही है। ऐसे में संघ की भी पसंद बन चुके भूपेंद्र यादव जहां वोटर्स को अपने पाले में लाने का कार्य करेंगे। वहीं सरकार और संगठन के बीच तालमेल भी बैठाएंगे। वैसे ओममाथुर की अनुपस्थिति के चलते बीजेपी कार्यकर्ता भी पेशोपेश में हैं और सबकी निगाहें पार्टी आलाकमान की तरफ लगी हैं।

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