अब अगर आप किसी अफसर को घूस देने की कोशिश करेंगे और उसने अगर उसकी शिकायत कर दी तो आप को जेल की हवा खानी पड़ सकती है ।  यानि अब रिश्वत देने के साथ साथ रिश्वत देना भी अपराध होगा । लोकसभा ने इससे जुड़े  भ्रष्टाचार निरोधक संशोधन बिल को पास कर दिया है ।  दबकि राज्यसभा से यह बिल पहले ही पास हो चुका है । अब सिर्फ राष्ट्रपति का मुहर लगना बाकी है । नये कानून के मुताबिक रिश्वत देते पकड़े जाने पर आपको सात साल तक की सज़ा हो सकती है। हालांकि रिश्वत देते पकड़े जाने पर आपको अपनी बात रखने के लिए अधिकतम दो हफ्ते का समय दिया जा सकता  है । माना जा रहा है कि  इस बिल के लागू  हो जाने पर भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण मिलेगा । इस विधेयक में 1988 के मूल कानून को संशोधित करने का प्रावधान है ।

इस विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि 2014 में वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शासन का मूलभूत मंत्र दिया था, ‘न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन’. पिछले चार वर्षो में हमारी सरकार ने इस दिशा में प्रतिबद्ध पहल की है. इसका उदाहण है कि देश की जनता का मोदी सरकार पर भरोसा रहा है और उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले नोटबंदी जैसी पहल पर जनता ने तकलीफ सहते हुए भी हमारा समर्थन किया. उन्होंने कहा कि इसी बात को देखते हुए वर्तमान विधेयक में ध्यान दिया गया है कि ईमानदार अधिकारियों के कोई भी अच्छे प्रयास बाधित नहीं हों. सिंह ने कहा कि इस सरकार के शासन में आने के बाद जनता का विश्वास भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई करने वालों पर बहाल हुआ है. चर्चा के दौरान कई सदस्यों द्वारा लोकपाल की नियुक्ति के मुद्दे को उठाने पर जितेन्द्र सिंह ने कहा कि देश में अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है. इस संबंध में प्रक्रिया चल रही है.

विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सिंह ने कहा कि राज्यसभा में इसे 43 संशोधनों के साथ पारित किया गया और इसमें रिश्वत देने वाले को भी परिभाषित किया गया है. उन्होंने कहा कि जो रिश्वत देगा, उसे भी रिश्वत लेने वाले के समान ही जिम्मेदार ठहराया जायेगा ।

एपीएन ब्यूरो

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