सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द होने के बाद प्रदेश भर से आए सैकड़ों शिक्षामित्रों ने बुधवार को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सिर मुंडवाकर सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया।

शिक्षामित्रों ने आरोप लगाया कि समायोजन रद्द होने के बाद राज्य सरकार ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके साथ अन्याय नहीं होनेे दिया जायेगा। ईको गार्डन पार्क में प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों ने मुंडन करा कर विरोध किया है। मुंडन कराने वालों में महिला शिक्षामित्र भी शामिल थी। प्रदेश सरकार ने पिछले साल उच्चतम न्यायालय के फैैसले के बाद गत वर्ष 25 जुलाई का शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन किये जाने के फैसले को रद्द कर दिया था। शिक्षामित्रों ने राज्य तथा केंद्र की सरकार पर उनकी अनदेखी करने का आरोप लगाया है।

शिक्षामित्र पिछले 38 दिनों से अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षामित्रों की अनदेखी करने पर उनका अगला कदम क्या होगा इस बारे में सरकार सोच नहीं सकती है।

प्रदर्शनकारी शिक्षामित्रों ने सरकार से मांग की है कि सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी की जो पहले की पॉलिसी थी उसके अनुसार हो। उन्हें 38,800 रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाये। मृतक साथी के परिवार को मुवावजे के साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिले। टीईटी में पास हुए शिक्षामित्रों को दूसरी लिखित परीक्षा नहीं कराते हुए उनको भी सहायक अध्यापक का दर्जा देते हुए उनका भी समायोजन किया जाए और 62 साल की उम्र में रिटायर किया जाए। शिक्षामित्रों ने सिर मुंडवाने के पहले आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले अपने साथी शिक्षामित्रों की आत्मा की शांति के लिए हवन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। साथ ही सरकार से मृतकों के परिवारीजनों के लिए आर्थिक सहायता की भी मांग की।

शिक्षामित्र नेताओं ने बताया कि वे लोग पिछलेे 70 दिनों से इको गार्डन पार्क में धरना दे रहे हैं। अधिकारी आते हैं और आश्वासन देते हैं लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना वादा भूल गए हैं। उन्होंने आजतक शिक्षामित्रों से मुलाकात नहीं की। इसी कारण महिला शिक्षामित्रों ने भी मुंडन करवाया है। यह नारी के सम्मान के खिलाफ़ हो रहा है। सुहागिन महिलायें अपनी मांगों के लिये मुंडन करवा रही हैं। प्रदेश में अबतक 708 शिक्षा मित्रों की मृत्यु हो चुकी हैं। हम अपने अधिकारों को मांग रहे हैं लेकिन यह सरकार हमें हमारे अधिकार नहीं दे रही है।

गौरतलब है कि 25 जुलाई 2017 को उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाए गए एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों के समायोजन को असंवैधानिक करार दिया था। समायोजन रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को प्रतिमाह मिल रही 38,800 रुपये मानदेय घटकर 3500 रुपये प्रतिमाह हो गई थी। जिसे सरकार ने बढ़ाकर दस हजार रुपए कर दिया था।  हालांकि, सरकार से शिक्षामित्रों की कई दौर में बातचीत हुई, लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है।

                                                                                                     साभार- ईएनसी टाईम्स

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