भारत के हिंदी माध्यम के विद्यार्थीयों के लिए खुशखबरी है कि उनको अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई मजबूरन अंग्रेजी में नहीं करनी होगी। मध्य प्रदेश के  भोपाल में राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मीटिंग के दौरान यह फैसला लिया गया कि इस साल नया सत्र शुरू किया जाएगा जिसमें छात्रों को इंजीनियरिंग हिन्दी में पढ़ाई जाएगी। इसमें छात्रों को विकल्प होगा कि वे अंग्रेजी या हिंदी में से किसी भाषा का चुनाव करें।

किंतु शिक्षक और छात्र इस बात से परेशान हैं कि ये पढ़ाई होगी कैसे? क्योंकि इंजीनियरिंग में टेक्स्टबुक्स हिंदी में उपलब्ध ही नहीं है। ऊपर से तकनीकी शब्दों का हिन्दी रूपान्तरण भी नहीं है। वहीं छात्र इस बात से कंन्फ्यूजड हैं कि उनको पढ़ाने के लिए शिक्षक कहां से आएंगे क्योंकि उन्होंने तो इंग्लिश में पढ़ाई की है। इन सब समस्याओं के बीच शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने कहा कि तकनीकी शब्दों के अनुवाद की आवश्यकता नहीं है। तकनीकी शब्दों को ज्यों का त्यों अपना लिया जाएगा।

वहीं कुछ दिनों पहले इस बात की खबर आई थी कि इंजीनियरिंग के 122 कॉलेज बंद होने जा रहे हैं क्योंकि पिछले साल कई कॉलेजों ने ‘प्रोगेसिव क्लोजर’ का विकल्प चुना था। ऐसे में हिन्दी की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है। देखना होगा कि मध्य प्रदेश से की गई यह शुरूआत आगे बढ़ पाती है या बीच में ही दम तोड़ देती है क्योंकि इसके कार्यान्वयन में कई दिक्कते आएंगी।

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