“शिक्षा मंत्री को बयान वापस लेने के लिए कहा गया है”, रामचरितमानस विवाद पर बोले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

इस महीने की शुरुआत में, केरल के मंत्री और कम्युनिस्ट नेता एमबी राजेश ने मनुस्मृति के बारे में ऐसा ही बयान दिया था जिसमें दावा किया गया था कि क्रूर जाति व्यवस्था मनुस्मृति पर आधारित है। राजेश ने कहा था, "अगर केरल में एक आचार्य है, तो वह श्री नारायण गुरु हैं, न कि आदि शंकराचार्य।

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Ramcharitmanas Row: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामायण पर आधारित एक महाकाव्य हिंदू धार्मिक पुस्तक ‘रामचरितमानस’ को “समाज में नफरत फैलाता है” कहकर विवाद खड़ा कर दिया है। चंद्रशेखर ने नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा, “मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एक बड़े तबके के खिलाफ बहुत सारी गालियां दी गई थीं। मंत्री के इस बयान के बाद से बीजेपी लगातार नीतीश सरकार को घेर रही है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्री को बयान वापस लेने के लिए कहा जा चुका है। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने पहले ही शिक्षा मंत्री को समझा दिया है।

“धर्म में दखल देना ठीक नहीं”

इससे पहले विवाद बढ़ता देख नीतीश ने कहा था कि हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी धर्मों के लोगों को पूजा पाठ का अधिकार है। उनके इस काम में किसी प्रकार से दखल देना ठीक नहीं है।

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मंत्री ने ऐसा क्या कह दिया?

बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा कि मनुस्मृति और रामचरितमानस ऐसी पुस्तकें हैं जो समाज में नफरत फैलाती हैं। यह समाज में दलितों-पिछड़ों और महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने से रोकती हैं। उन्होंने कहा, “मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स… ये किताबें ऐसी किताबें हैं जो नफरत फैलाती हैं। नफरत से देश महान नहीं बनेगा, प्यार देश को महान बनाएगा।”

बता दें कि इस महीने की शुरुआत में, केरल के मंत्री और कम्युनिस्ट नेता एमबी राजेश ने मनुस्मृति के बारे में ऐसा ही बयान दिया था जिसमें दावा किया गया था कि क्रूर जाति व्यवस्था मनुस्मृति पर आधारित है। राजेश ने कहा था, “अगर केरल में एक आचार्य है, तो वह श्री नारायण गुरु हैं, न कि आदि शंकराचार्य। शंकराचार्य मनुस्मृति पर आधारित क्रूर जाति व्यवस्था के हिमायती थे। श्री नारायण गुरु ने काम किया, जाति व्यवस्था को समाप्त करने के लिए। शंकराचार्य ने न केवल जाति व्यवस्था का समर्थन किया बल्कि इसके प्रवक्ता भी रहे हैं।

“मंत्री का जीभ काटने पर 10 करोड़ रुपये का इनाम”

मंत्री के बयान के बाद जगद्गुरु परमहंस आचार्य, तपस्वी छावनी भड़क गए। उन्होंने कहा, “बिहार के शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस ग्रंथ को जिस तरह से नफरत फैलाने वाली पुस्तक बताया है, उससे पूरा देश आहत है, यह सभी सनातनियों का अपमान है और मैं इस बयान के लिए कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं। एक सप्ताह के भीतर उन्हें माफी मांगनी चाहिए, अगर ऐसा नहीं होता है, तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं।”

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