अब सूक्ष्म, लघु एवं मझोली इकाइयों (एमएसएमई) की भी रेटिंग होगी। यानी की बड़ी कंपनियों की तरह इन्हें भी रेट किया जाएगा। सरकार के इस फैसले से विदेशी निवेशक उनमें पूंजी लगा सकेंगे। और उन्हें अपने कारोबार के लिए वित्तीय इंतजाम करने में आसानी होगी। सोलर, इलेक्ट्रिक वाहन, बायोगैस जैसे ग्रीन सेक्टर में एमएसएमई को प्रोत्साहित करने की योजना भी तैयार की जा रही है। वित्तीय संस्थान ग्रीन सेक्टर में काम करने वाली एमएसएमई को प्राथमिकता के आधार पर लोन देंगे।

केंद्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के लोन आवेदन पर फैसला लेने में देरी करने वाले अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। एमएसएमई को होने वाले भुगतान की समस्या को दूर करने के लिए भी एमएसएमई मंत्रालय स्थायी समाधान खोज रहा है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जीएसटी और इनकम टैक्स रिकॉर्ड के आधार पर एमएसएमई की रेटिंग की जा सकती है। सभी जिलों में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) के सहयोग से यह हो सकता है। एक निर्धारित तरीके से सीए एमएसएमई की रेटिंग करेंगे।

बता दें कि मंत्रालय की सभी स्कीम को एक जगह पर एकत्रित करने के लिए डैशबोर्ड बनाए जाएंगे। डैशबोर्ड को सभी बैंक व वित्तीय संस्थाओं से भी जोड़ा जाएगा।

गडकरी ने कहा कि एमएसएमई के लोन आवेदन पर निर्धारित समय में अधिकारियों की तरफ से फैसला लिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि लोन के कई मामलों में फैसला लेने में छह-सात साल लग गए। मंत्रालय के डैशबोर्ड पर यह पता चल जाएगा कि किसी उद्यमी का लोन आवेदन क्यों खारिज हुआ। गडकरी ने कहा कि अधिकारियों को जटिल स्कीम की जगह सरल स्कीम तैयार करना चाहिए ताकि उद्यमियों को आसानी से उसका लाभ मिल सके। ग्रीन सेक्टर में काफी संभावनाएं निकल रही हैं और इन सेक्टर में एमएसएमई के आने से रोजगार निकलेंगे और कारोबार की लागत में भी कमी आएगी।


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