आखिरकार यह साबित हो गया कि कश्मीर के हुर्रियत नेता किस तरह आंतकियों की मदद करते हैं। जी हां, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के छापों मे हुर्रियत नेताओं को लिखे कुछ ऐसे पत्र मिले हैं, जो लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन के लेटरहेड पर लिखे हुए हैं। इन पत्रों के जरिए साफ पता चलता है कि आतंकी इन नेताओं से पैसे की मांग करते हैं। एनआईए को यह पत्र नईम खान और शाहिद-उल-इस्लाम जैसे अलगाववादियों के यहां से मिला है। इन पत्रों से पता चलता है कि आतंकी अलागाववादियों को एटीएम के रूप में प्रयोग करते हैं। ये पैसों के लिए हुर्रियत नेताओं को धमकी भी देते हैं।

एनआईए के अनुसार आतंकी इन पत्रों का इस्तेमाल सूचना के लिए करते हैं। वो पत्रों द्वारा अलगाववादी नेताओं को धमकाते हैं, उन्हें बताते हैं कि कितने पैसे पहुंचाने हैं, कहां पहुंचाने हैं और कैसे पहुंचाने हैं। एनआईए को प्राप्त एक लेटर मोहम्मद अमीन भट्ट का है। उसने यह लेटर तहरीक-ए-हुर्रियत प्रमुख सैयद अली शाह गिलानी के करीबी अयान अकबर खांडे को लिखी है जिसमें उसने 5 लाख रूपए की मांग की है।

लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठन कश्मीर में काफी सक्रिय माने जाते हैं। अयान अकबर खांडे को एनआईए ने गिरफ्तार किया हुआ है।

इसी तरह एनआईए को एक और चिट्ठी मिली, जो हिज्बुल के लेटरहेड पर 17 मार्च, 2006 को शब्बीर शाह के सहायक नईम खान को लिखी गई थी। इस चिट्ठी के जरिए 7 से 10 हजार रुपये और एक मोबाइल फोन की मांग की गई थी।

इसी तरह के कई पत्र एनआईए को मिली हैं जिससे साबित होता है कि आतंकी किस तरह हुर्रियत नेताओं का प्रयोग फंडिंग के लिए करते थे। बता दें कि एनआईए के जांच में कई नेता, व्यापारियों का नाम हैं जिनकी व्यापक जांच एनआईए करेगी। इसका मतलब आतंकियों के फंडिंग में अभी कई अन्य दस्तावेज और व्यक्तियों के नाम सामने आएंगे।

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