कई सालों से हो रहे सरकारी पैसे की फिजूलखर्ची और हजारों नियम-कानून के बाद भी गंगा को आज भी ‘स्वच्छता’ नहीं मिल पाई है। ऐसे में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने गंगा की सफाई पर कड़ा रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि गंगा के 100 मीटर के दायरे में अब कोई विकास नहीं होगा मतलब अब गंगा के आसपास का 100 मीटर का दायरा ‘नो डेवलपमेंट जोन’ घोषित हो गया है। साथ ही अपने फैसले में एनजीटी ने यह भी कहा कि गंगा में गंदगी फैलाने वालों को किसी भी प्रकार से बख्शा नहीं जाएगा और उनपर 50 हजार रुपए का जुर्माना  लगाया जाएगा।

एनजीटी ने  गुरूवार को निर्देश देते हुए कहा कि हरिद्वार से उन्नाव के बीच गंगा नदी से लगभग 500 मीटर की दूरी पर किसी भी प्रकार का कचरा करने पर जुर्माना लगाया जाए। एनजीटी ने माना कि अब तक सरकार की ओर से गंगा सफाई के नाम पर 7 हजार करोड़ से ज्यादा की फिजूलखर्ची हो चुकी है। इस कारण उसने सरकार को गंगा प्रोजेक्ट पर और पैसा न खर्च करने को कहा है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशानिर्देश बनाने के लिए कहा।

एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार को आदेश दिया है कि चमड़े के कारखानों को जाजमउ से उन्नाव अथवा किसी भी अन्य स्थान जिसे राज्य उचित समझता हो,वहां 6 सप्ताह के भीतर स्थानांतरित करे। एनजीटी ने माना है कि जितना पैसा गंगा पर खर्च किया गया है वह बर्बाद हो चुके हैं, इसलिए ट्रिब्युनल समझती है कि सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए।

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