वर्तमान में विकासशील से विकसित होने की राह में सबसे तेज दो देश दौड़ रहे हैं और दोनों ही एक-दूसरे के पड़ोसी हैं, वो दोनों देश हैं भारत और चीन । ऐसे में जब दोनों ही देशों के पड़ोसी भी एक हो जाते हैं तो दोनों में आपसी टकराव होना स्वाभाविक है । इस कारण दोनों ही देश अपने को आर्थिक रुप से मजबूत करने के लिए अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ रिश्ता मजबूत करने की कोशिश में लगे रहते हैं। जहां एक तरफ चीन ओबीओआर परियोजना के तहत पाकिस्तान, म्यामांर, बांग्लादेश, रूस आदि देशों को अपनी ओर खींच रहा है वहीं भारत ने भी अपने सासेक प्रोजेक्ट में म्यांमार,बांग्लादेश , नेपाल, श्रीलंका आदि देशों को मिलाकर अपने नए आर्थिक गलियारे को रफ्तार देने की कोशिश की है।

जी हां, 2001 में घोषित हुए इस प्रोजेक्ट को रफ्तार देने के लिए भारत ने लगभग 1630 करोड़ रूपए का निवेश किया है। सासेक (SASEC) का पूरा नाम है  साउथ एशियन सब रिजनल इकोनॉमिक कॉपरेशन। इस परियोजना की शुरूआत भारत ने कई वर्ष पहले भूटान, नेपाल, बांग्लादेश व म्यांमार को जोड़ने के लिए की थी। दरअसल, दक्षिण एशियाई देशों के बीच रोड कनेक्टिविटी और व्यापार को ध्यान में रखते हुए सार्क देश यानी बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल ने 1996 में साउथ एशियन ग्रोथ क्वाड्रएंगल (SAGQ) की स्थापना की थी। पर्यावरण, ऊर्जा, व्यापार जैसे सभी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए इसका गठन किया गया था। 2001 में सासेक परियोजना के बाद इस प्रोजेक्ट में 2014 में मालदीव और श्रीलंका को शामिल किया गया और 2017 में म्यांमार को शामिल कर लिया गया।

भारत की योजना इस मार्ग के जरिये पूर्वी एशियाई बाजारों को पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की है। इस परियोजना के तहत मणिपुर के इम्फाल के मोरेह कस्बे को और म्यांमार की सीमा को रोड के जरिए जोड़ा जाएगा। कुल मिलाकर सरकार की योजना NH-39 में शामिल इम्फाल-मोरेह के 65 किलोमीटर सड़क को और ज्यादा विस्तार देने का है। भारत और उसके पड़ोसी देश किसी न किसी संसाधन में कुशल हैं ।  जैसे कोयला के मामले में भारत, गैस के मामले में बांग्लादेश, हाइड्रोपावर के मामले में भूटान और नेपाल काफी आगे हैं। इसी कारण इन संसाधनों के आदान-प्रदान और यातायात, व्यापार, ऊर्जा और इकोनॉमिक कॉरिडोर डेवलपमेंट के क्षेत्र में मजबूती लाने के लिए इसका गठन किया गया। सासेक देशों के बीच बेहतर संपर्क मार्गों से न केवल पड़ोसी देश मजबूत होंगे, बल्कि भारत भी विकास के रास्ते पर और तेजी से आगे बढ़ सकेगा।

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