उत्तरप्रदेश में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि स्थान पर नया मोड़ आया है। जन्मभूमि से सटे 17वीं सदी की ईदगाह मस्जिद को हटाने के मुकदमे में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रपौत्री और हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष राजश्री चौधरी ने भी इस मामले में पक्षकार बनने की कोर्ट से अपील की है।

बता दें कि, राजश्री चौधरी की परदादी, नेताजी सुभाष चंद्र की छह बहनों में से एक थीं। दो साल पहले 2018 में वह हिंदू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बाद संगठन की अध्यक्ष बनीं वह दूसरी बंगाली हैं। जनसंघ के संस्थापक मुखर्जी 1943 से लेकर 1946 तक अध्यक्ष रहे थे।

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हिंदू महासभा की अध्यक्ष ने मथुरा में गुरुवार को मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत में बताया कि उनका संगठन हिंदुओं के पक्ष में याचिका करेगा। चौधरी ने बताया, ‘कृष्णजन्मभूमि के बगल में बना ईदगाह अवैध है। केवल इतना ही नहीं, हमारे एजेंडे में अभी काशी विश्वनाथ, तेजो महल भी है।’

केंद्र सरकार ने 18 सितम्बर 1991 को लागू किए गए उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के अनुसार 15 अगस्त 1947 तक अस्तित्व में आए हुए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को एक आस्था से दूसरे धर्म में परिवर्तित करने और किसी स्मारक को धार्मिक आधार पर रखरखाव पर रोक लगाई गई है, के प्रावधानों में बाधित है, तथा दायर ही नहीं किया जा सकता है। ये वाद इन्हीं आधारों पर इसी स्तर पर निरस्त होने योग्य है।

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बता दें कि, कृष्ण मंदिर के बगल में बने मस्जिद को हटाने के लिए अक्टूबर में दी गई याचिका को मथुरा कोर्ट ने स्वीकृत किया था। यह याचिका बाल देवता भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से रंजना अग्निहोत्री और अन्य पांच लोगों ने दायर की थी। रंजना लखनऊ की रहने वाली हैं। यह दावा किया कि मंदिर के 13.37 एकड़ के परिसर में स्थित मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनाई गई थी और इसे हटाने की मांग की गई है।

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