दाऊदी बोहरा समाज की मुस्लिम महिलाएं इस हफ्ते मुस्लिम समाज की प्रथा खतना को गैर-कानूनी घोषित करने के लिए पीएम मोदी से मदद की गुहार लगा रही हैं। सालों से इस प्रथा के बहाने असहनीय दर्द सहने वाली महिलाओं ने अब खतना प्रथा को बैन कारने के लिए आन्दोलन शुरू कर दिया हैं।

खतना को अंग्रेजी में “फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन” कहा जाता है, इसमें मुस्लिम बच्चियों की यौन इच्छाओं को मारने के लिए उनके जननांग को काट दिया जाता हैं। मुस्लिम बच्चियां जैसे ही 7 वर्ष की उम्र को पार करती हैं उनका खतना करा दिया जाता हैं। जिसमे इन फूल सी मासूम बच्चियों को परिवार की ही बुजुर्ग महिलाएं डॉक्टर के पास ले जाकर उनका खतना करा देती हैं। ताकि उनकी यौन इच्छाएं कभी सक्रिय न हो पाएं।

खतना प्रथा ने बोहरा समुदाय से जन्म लिया है लेकिन भारत में अभी तक खतना के विरोध में कोई भी कानून नहीं बनाया गया हैं। बता दे कि बोहरा समुदाय, शिया मुस्लिम हैं। इनकी भारत में लगभग 20 लाख की आबादी हैं। ये मुस्लिम सम्प्रदाय के लोग भारत के महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में बसे हुए हैं।

महिला खतना की प्रक्रिया-

महिला खतना की प्रक्रिया कितनी दर्दनाक होती हैं इस बात का अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। खतना के दौरान 7 साल की मासूम बच्ची के योनि के एक हिस्से क्लिटोरिस को रेजर ब्लेड की मदद से काट दिया जाता हैं । इसके बाद कुछ जगहों पर क्लिटोरिस और योनि की अंदरूनी स्किन को भी थोड़ा सा हटा दिया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस बात की पुष्टि की, कि खतना  4 तरीके का हो सकता है-

Muslim women demanded from Modiपूरी क्लिटोरिस को काट देना

योनी की सिलाई

छेदना या बींधना

क्लिटोरिस का कुछ हिस्सा काटना

बोहरा समुदाय के लोगों का मानना हैं कि महिलाओं का यौन के प्रति आकर्षित होना पितृसत्ता के लिए खतरनाक हैं। इन लोगों का विश्वास हैं कि जिस महिला का समय रहते खतना कर दिया जाता है, वह अपने पति के प्रति हमेशा वफादार रहती है।

हर साल होता है 20 करोड़ लड़कियों का खतना- 

यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में हर साल बीस करोड़ से भी ज्यादा महिलाओं का खतना किया जाता हैं। खतना होने वाली इन 20 करोड़ लड़कियों में से लगभग 4.5 करोड़ बच्चियां 14 साल से कम उम्र की होती हैं। 

बोहरा समुदाय में लड़कियों का खतना कराना सबसे जरूरी माना जाता हैं, लेकिन इसके परिणामों से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। खतना प्रक्रिया में एक ही ब्लेड से कई महिलाओं का खतना किया जाता हैं जिससे उनमे योनी संक्रमण के अलावा बांझपन जैसी बीमारियां होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता हैं। सिर्फ इतना ही नहीं कई लड़कियों का ज्यादा खून बह जाने के कारण मौत तक हो जाती हैं और इतना दर्द न सहन कर पाने के कारण कई लड़कियां कोमा में भी चली जाती हैं।

सालों से चली आ रही इस प्रथा के खिलाफ आखिरकार अब महिलाओं ने आवाज उठाने की ठान ली हैं। बच्चियों का खतना कराना जुर्म हैं लेकिन भारत में इसके खिलाफ़ कोई प्रावधान नहीं हैं। इसलिए विश्व दिवस के मौके पर खतना के खिलाफ 19 नवंबर को महिला अधिकारों के संरक्षण के लिए ‘WeSpeakOut’ के तहत एक ऑनलाइन प्रोग्राम की शुरुआत की गई। जिसमे मुस्लिम महिलाओं ने पत्र लिख कर सरकार, राज्य सरकारों से एडवाइजरी जारी करने की अपील की है। साथ ही खतना को गैर-कानूनी घोषित करने की भी मांग की है।

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