मुलायम सिंह के वे फैसले जिन्‍होंने बढ़ा दिया था उनका सियासी कद

Mulayam Singh Yadav Death: सपा एक ऐसा बड़ा राजनीतिक दल है, जिसकी नींव न केवल मुलायम सिंह यादव ने रखी, बल्कि इसमें अपना खून-पसीना सब कुछ लगा दिया।

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Mulayam Singh Yadav Death: top news on his Political Acheivements
Mulayam Singh Yadav Death:

Mulayam Singh Yadav Death: उत्‍तर प्रदेश की राजनीति से लेकर देश की संसद तक समाजवादी पार्टी को ले जाने वाले मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को अंतिम सांस ली।वह पिछले काफी समय से बीमार थे। उनका इलाज गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्‍पताल में किया जा रहा था।उन्‍हें 2 अक्‍टूबर से ही सीसीयू में रखा गया था। वह लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के सैफई में उनका अंतिम संस्कार होगा। सपा एक ऐसा बड़ा राजनीतिक दल है, जिसकी नींव न केवल मुलायम सिंह यादव ने रखी, बल्कि इसमें अपना खून-पसीना सब कुछ लगा दिया।बेशक मुलायम के आखिरी दिनों में पार्टी उनके बेटे अखिलेश यादव के पास थी, लेकिन मुलायम की लोकप्रियता इससे आंकी जा सकती है, कि उन्हें पार्टी का मार्गदर्शक बनाए रखा गया।आइए जानते हैं 3 बार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद से लेकर देश के रक्षा मंत्री का दायित्‍व उन्‍होंने कैसे संभाला?

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Mulayam Singh Yadav death.

Mulayam Singh Yadav Death:

सही मायनों में धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव की गहरी जड़ें उनके पैतृक गांव से जुड़ी हुई हैं। 22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई में पैदा हुए मुलायम को उनके पिता सुघर सिंह पहलवान बनाना चाहते थे, लेकिन मुलायम ने असली दांव-पेंच राजनीति के अखाड़े में आजमाए। इटावा से ग्रेजुएशन किया और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए आगरा पहुंचे। छात्र राजनीति में सक्रिय हुए।राममनोहर लोहिया की समाजवादी विचारधारा से इस कदर प्रभावित हुए कि उन्‍होंने 1967 में लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा।वे जसवंतनगर सीट से उम्मीदवार बने और जीत हासिल की।

Mulayam Singh Yadav Death: बतौर सीएम कार सेवकों पर चलवाई गोली

वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। केंद्र में वीपी सिंह की सरकार के पतन के बाद मुलायम ने चंद्रशेखर की जनता दल (समाजवादी) के समर्थन से अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रखी। जब अयोध्या का मंदिर आंदोलन तेज हुआ तो कार सेवकों पर साल 1990 में उन्होंने गोली चलाने का आदेश दिया।इस दौरान करीब 12 से ज्यादा लोग मारे गए थे। हालांकि बाद में मुलायम ने कहा था कि ये फैसला कठिन था।

Mulayam Singh Yadav Death: समाजवादी पार्टी का गठन

लोकदल से वाया जनता दल होते हुए मुलायम सिंह यादव ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी।पिछड़ी जातियों को गोलबंद करते हुए अल्पसंख्यकों को साथ लिया। अगलों को उनकी हिस्सेदारी के आधार पर भागीदारी देते हुए आगे बढ़े। 3 बार मुख्यमंत्री बनने के बाद वर्ष 2012 में अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया।

Mulayam Singh Yadav Death: शहीद का शव सम्‍मान के साथ उसके घर पहुंचाने का फैसला

केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह यादव का प्रवेश वर्ष 1996 में उस समय हुआ, जब कांग्रेस पार्टी को हराकर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई। एचडी. देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में उन्‍हें रक्षामंत्री का पद सौंपा गया। बेशक सरकार ज्‍यादा दिन टिक नहीं पाई। 3 साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई। बतौर रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने कुछ अहम फैसले लिए।शहीद सैनिक का शव पूरे सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाने का फैसला, इसका श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है।
मालूम हो‍ कि आजादी के बाद से कई सालों तक अगर सीमा पर कोई जवान शहीद होता था, तो उनका शव घर पर नहीं पहुंचाया जाता था। उस समय तक शहीद जवानों की टोपी उनके घर पहुंचाई जाती थी।जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने, तब उन्होंने कानून बनाया कि अब से कोई भी सैनिक अगर शहीद होता है तो उसका शव सम्मान के साथ घर तक पहुंचाया जाए।डीएम और एसपी शहीद जवान के घर जाएंगे। मुलायम के रक्षा मंत्री रहते ही भारत ने सुखोई-30 लड़ाकू विमान की डील की थी।

सेकंड लेफ्टिनेंट की रैंक खत्‍म करवाई– लेफ्टिनेंट कमीशन रैंक में सबसे पहला पद होता है। इनकी वर्दी पर 2 स्टार लगे होते हैं। लेफ्टिनेंट आईएमए, ओटीए से ट्रेनिंग करते हैं उसके बाद उन्हें लेफ्टिनेंट का ही रैंक प्राप्त होता है।इसके बाद उनका आगे प्रमोशन होता रहता हैं।मालूम हो कि वर्ष 1996 से पूर्व सेकंड लेफ्टिनेंट की रैंक भी होती है। जिसे तत्‍कालीन रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव ने खत्‍म करवाया।

Mulayam Singh Yadav Death: जया बच्‍चन की राज्‍यसभा में एंट्री करवाई

जानी-मानी अदाकारा और महानायक अमिताभ बच्‍चन की पत्‍नी जया बच्चन यूपी से चुनकर राज्यसभा पहुंची। वह यूपी की समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता भी हैं। मुलायम सिंह यादव ने साल 2004 में जया बच्चन को पहली बार समाजवादी पार्टी की तरफ से राज्यसभा के लिए भेजा।

Mulayam Singh Yadav Death: न्यूक्लियर डील में दिया यूपीए का साथ

साल था 2008 मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार अमरीका के साथ परमाणु करार को लेकर संकट में आ गई थी। जब वामपंथी दलों ने समर्थन वापस ले लिया था।ऐसे वक्त पर मुलायम सिंह ने मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देकर सरकार बचाई थी। जानकारों का कहना था कि उनका ये क़दम समाजवादी सोच से बिल्‍कुल अलग था।

Mulayam Singh Yadav Death: अखिलेश यादव के पक्ष में हुए खड़े

राजनीति के कुशल खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2012 में पूण बहुमत मिलते ही अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनाया। वर्ष 2017 में पार्टी के अंदर घमासान मचा। वह कभी शिवपाल और कभी अखिलेश के पक्ष में खड़े होते रहे। आखिरकार उन्होंने सार्वजनिक मंच से स्वीकार किया कि वह अखिलेश यादव के साथ हैं। अखिलेश यादव ही समाजवादी विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं।

Mulayam Singh Yadav Death: जानिए सपा संरक्षक का राजनीतिक जीवन परिचय

  • वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। पहली बार पांच दिसंबर 1989 से 24 जून 1991 तक, दूसरी बार पांच दिसंबर 1993 से 3 जून 1995 तक और तीसरी बार 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक मुख्यमंत्री रहे

वह एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे

पहली बार 1967 में विधायक बने। फिर 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993 और 1996 में विधायक बने। फिर उपचुनाव में 2004 से 2007 तक विधायक रहे

लोकसभा सदस्य के रूप में 1996 में मैनपुरी, 1998 में संभल, 1999 में संभल से रहे। 2004 में मैनपुरी से चुने गए, लेकिन इस्तीफा दे दिया। फिर 2009 में मैनपुरी, 2014 में आजमगढ़ औ 2019 में मैनपुरी से सांसद चुने गए

1992 में सपा का गठन किया और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। वह जनवरी 2017 तक इस पद पर रहे। इसके बाद इन्हें संरक्षक बना दिया

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