नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे हुए! याने इस सरकार का आज जन्म-दिन है। किसी के भी जन्म-दिन के अवसर पर उसके दोषों का दर्शन किया जाता है या उसे बधाइयां दी जाती हैं? तो हमारी भी बधाई! आप ने तीन साल काट दिए और एक भी घोटाला सामने नहीं आया, यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। पिछली कांग्रेसी सरकार तो घोटालों की सरकार ही थी। स्वयं प्रधानमंत्री बेदाग रहे हों लेकिन उनकी नाक के नीचे कौनसे-कौनसे घोटाले नहीं हुए? इन्हीं घोटालों की कृपा से मोदी प्रधानमंत्री पद पा गए।
मोदी ने गुजरात में क्या-क्या विकास किया और क्या-क्या चमत्कार किए और उनकी वजह से ही उन्हें 2014 में वोट मिले, इसका प्रामाणिक ब्यौरा अभी तक सामने नहीं आया है। इसीलिए चुनाव के दौरान लगाई गप्पों के आधार पर मोदी के तीन सालों को तौलना उचित नहीं है। यों कौनसी पार्टी है, जो चुनाव के दौरान जनता को चने के झाड़ पर नहीं चढ़ाती है? यह ठीक है कि यह सरकार अभी तक देश की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के ढांचे में कोई बुनियादी परिवर्तन नहीं कर पाई है लेकिन आम जनता को राहत देने की दृष्टि से उसने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं।
जैसे लगभग 28 करोड़ जन-धन खाते खुलवाए, सस्ती गैस की टंकी मुहैया करवाई, दवाइयों में होने वाली लूट-पाट खत्म की, निर्धनों को पक्के मकान देने की योजना बनाई, लालबत्ती की अकड़ हटाई, दुगुनी रफ्तार से सड़कें बन रही हैं, युवकों को रोजगार-प्रशिक्षण और किसानों को भी तरह-तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्वच्छ भारत जैसे कई अभियानों की घोषणा की गई है।
ये सब काम वहीं हैं, जो पिछली सरकारें भी कमोबेश करती रही है। राजीव गांधी से जनता का मोहभंग दो साल बाद ही शुरु हो गया था लेकिन मोदी अभी भी आशा की किरण बने हुए हैं। हालांकि जिन दो चमत्कारी कामों का श्रेय यह सरकार लेना चाहती है, नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक, इन दोनों कामों में यह सरकार बिल्कुल फिसड्डी साबित हो गई है। दो हजार के नोटों ने काले धन की राह सरल कर दी है। अब काला धन दुगुनी गति से बन रहा है। जहां तक सर्जिकल स्ट्राइक का सवाल है, उसका बार-बार नगाड़ा पीटकर हमारी बहादुर फौज का सम्मान घटाया जा रहा है।
सच्ची सर्जिकल स्ट्राइक हो तो दुश्मन को ठिकाने लगाने के लिए वह एक ही काफी है। इस तरह की छोटे-मोटी मुठभेड़ें तो बरसों-बरस से चलती चली आ रही हैं। इसमें शक नहीं कि हमारी सरकार प्रचार की महापंडित है। इस समय उसके प्रचार की आंधी में सभी अखबार और टीवी चैनल बहे चले जा रहे हैं। विरोधियों के हौसले पस्त हैं। मोदी के प्रचार ने उनका आचार निकाल दिया है। 2019 में वे मोदी के लिए चुनौती नहीं बन सकते। मोदी के लिए दो साल बाद कोई मुसीबत खड़ी होगी तो इन विरोधियों के बाहर से ही खड़ी होगी। मोदी को भाजपा और संघ के अपने अंदरुनी ‘मित्रों’ से भी सावधान रहना होगा। मोदी को 2019 तक तो कोई खतरा नहीं है।
डा. वेद प्रताप वैदिक
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