भारत से चुराकर जो अति-प्राचीन और बेशकीमती मूर्तियां विदेशों में भेजी गई थीं, जिन्हें भारत से मोहम्मद गोरी और अंग्रेज जैसे शासक चुरा कर ले गए थे उन सबको फिर से वापस लाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपने कार्यकाल में अब तक अनेकों प्राचीन मूर्तियों और बाकी वस्तुओं को वापस लाने में सफलता पाई है। खबरों की माने तो अब तक विदेशों से 24 प्राचीन और एंटीक वस्तुएं वापस अपने देश लाई जा चुकी हैं।

दरअसल इस मामले में पीटीआई के एक संवाददाता ने आरटीआई डाली थी जिसके जवाब में यह आंकड़े सामने आए हैं।  इस आरटीआई में सामने आई रिपोर्ट के अनुसार कुल 24 प्राचीन चीजों में से 16 चीजें अमेरिका से, 5 ऑस्ट्रेलिया से और एक-एक चीजें कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से लाई गई हैं।

जहां अमेरिका से वापस लाई गई वस्तुओं में तमिलनाडु के चोल वंश की श्रीदेवी की प्रतिमा बाहुबली की धातु की प्रतिमा, दुर्गा की पत्थर की प्रतिमा, नृत्य की भाव-भंगिमा में नटराज की  पत्थर की एक प्रतिमा भी शामिल है।

इसके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के हवाले से बताया गया है कि संत मन्निक्कावचाका की कांस्य प्रतिमा, गणेश और पार्वती की धातु की प्रतिमाएं भी अमेरिका से वापस आई हैं। अमेरिका ने जबकि ऑस्ट्रेलिया ने बैठे हुए भगवान बुद्ध की एक मूर्ति, नटराज और अर्द्धनारीश्वर की प्रतिमाएं भेजी हैं। सिंगापुर से उमा परमेश्वरी, कनाडा से एक पैरट लेडी और जर्मनी से जम्मू-कश्मीर से चुराई गई ‘महिषा मर्दनी’ की प्रतिमाएं वापस लाई हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया की नेशनल गैलरी ने जिन प्राचीन कलाकृतियों को वापस किया, उनमें बैठे हुए बुद्ध, 900 साल पुरानी देवी प्रत्यांगिरा और मथुरा की ध्यानस्थ बुद्ध की मुद्रा वाली मूर्तियां शामिल हैं।

हालांकि यह दुर्लभ मूर्तियाँ लौटाने वाले यह देश इसे स्वेच्छा से लौटा रहे हैं पर अब भी बहुत सी ऐसी मूर्तियाँ और अमूल्य धरोहरों का अभी भारत वापस आना शेष है। एएसआई की माने तो अभी ढेरों पुरातनकालीन वस्तुएं लाना अब भी बाकी हैं जिन्हें स्विट्जरलैंड समेत दूसरे देशों से वापस लाया जाना है। जानकारी के अनुसार सरकार भारत से चोरी करके ले जाई गई प्राचीन वस्तुओं को कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से वापस लाने पर जोर दे रही है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों की यात्रा पर गए  हैं, उन्होंने देश की सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने का विशेष प्रयास किया है और उनकी माने तो यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी।

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