सड़क एवं परिवहन मंत्रालय लगातार देश के परिवहन नीतियों में बदलाव करके आम जनता की दौड़ तेज करने में लगा है। इसी के मद्देनजर मंत्रालय ने ई-वाहन पर ज्यादा जोर देते हुए उसको बढ़ावा देने का सोचा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक और बायो फ्यूल जैसे वैकल्पिक ईधन पर चलने वाले वाहनों को परमिट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने इस प्रकार के हरित वाहनों को परमिट से छूट देने का निर्णय लिया है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को बताया कि सरकार अब इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना चाहती है। गडकरी ने  बताया कि ई-वाहन, मतलब बैट्री से चलने वाले मोटर-वाहनों को देश के किसी भी राज्य में चलाने के लिए परमिट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यही नहीं, पेट्रोल-डीजल के अलावा एथेनॉल, बायोडीजल या अन्य वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले मोटर-वाहनों को भी परमिट की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

गडकरी ने ऑटोमोबाइल कंपनियों से ईवी पर ज्यादा फोकस करने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि ओला और उबर जैसी कैब एग्रीगेटर्स कंपनियों को यह आदेश देकर भी इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ाई जा सकती है कि वे अपनी फ्लीट में एक तय सीमा में ऐसी गाड़ियां शामिल करें। गडकरी ने कहा कि राज्य सरकारें भी इस पर मान गई हैं क्योंकि यह सिफारिश राज्यों के मंत्रियों के एक समूह की तरफ से आई थी, जिसकी अध्यक्षता राजस्थान के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर यूनुस खान ने की थी।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि  ‘इलेक्ट्रिक वाहनों पर केवल 12 प्रतिशत जीएसटी है। मुझे नहीं लगता कि किसी और सब्सिडी की आवश्यकता है। पर्यावरण को बचाने के लिए हमें नए उपायों की जरूरत है इसलिए गडकरी ने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन के लिए सरकार निर्माताओं को किसी प्रकार की वित्तीय रियायत प्रदान नहीं करेगी।

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