सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या विवाद की सुनवाई अगले साल तक टालने के निर्णय के बाद इस मुद्दे पर सियासी घमासान मचा हुआ है। राष्ट्रीय सेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद राम मंदिर के लिए सरकार से अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। इस बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शुक्रवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि राम मंदिर और लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई है। संघ के मंदिर निर्माण पर सख्त रुख को देखते हुए इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। संघ प्रमुख और शाह के बीच बंद दरवाजे में यह बैठक हुई है। इस बैठक में राम मंदिर और सबरीमाला मंदिर पर चर्चा हुई। भागवत और शाह के बीच यह मुलाकात करीब एक घंटे से ज्यादा चलने की खबर है। उल्लेखनीय है कि संघ प्रमुख ने विजयदशमी से एक दिन पहले अपने संबोधन में अयोध्या में मंदिर निर्माण का फिर से आह्वान किया था। उन्होंने सरकार से यह भी कहा कि जरूरत हो तो इसके लिए कानून लाया जाए। उधर, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी इस मुद्दे को लेकर खुलकर बयान दे रहे हैं।

पिछले महीने अमित शाह ने कहा था कि उनकी इच्छा है कि राम मंदिर का निर्माण 2019 से शुरू हो जाएंगा। हाल में उन्होंने कहा कि विवादित जमीन के मालिकाना हक के बारे में फैसला करते हुए इस बात को किनारे नहीं किया जा सकता कि भगवान राम के जन्मस्थल पर स्थित उनके मंदिर को गिराया गया है। शाह ने कहा कि हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि 600 साल पहले अयोध्या में राम मंदिर को गिराया गया था। बहुतों को ऐसा लग रहा है कि अयोध्या में संत समाज की मांगों का समर्थन कर संघ ने बीजेपी और केंद्र पर दबाव बढ़ा रहा है। उधर, शाह के अपने बयान इस ओर इशारा कर रहे हैं कि संभवतः पार्टी अपने विकास और कल्याण के अजेंडे के साथ इस सांस्कृति और पहचान के इस इशू को जोड़ फोकस में लाना चाहती है।

संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था कि उत्तरप्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर बनाने का मुद्दा हिंदू और मुस्लिम समुदाय तक ही सीमित नहीं है। ‘न्यायालय ने कहा था कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है और सड़कों पर भी नमाज अदा की जा सकती है। इसके अलावा जबरन अधिग्रहित जमीन पर नमाज अदा नहीं की जा सकती। अदालत ने यह भी कहा है कि यह (जमीन का अधिग्रहण) धार्मिक कृत्य नहीं है।’ उन्होंने दावा किया कि 1994 में कांग्रेस के शासन के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि अगर सबूत मिलता है कि मंदिर को ढहाकर मस्जिद का निर्माण हुआ था तो सरकार हिंदू समुदाय की भावनाओं के साथ है।

मनमोहन वैद्य ने कहा था, ‘अब हमारे पास सबूत हैं, साथ ही मुद्दा बिना फैसले के अदालत में लंबे समय से लंबित है। अब मुद्दा बस जमीन अधिग्रहण करने और मंदिर निर्माण के लिए इसे सौंपने का है।’ आरएसएस नेता ने कहा कि मुद्दा हिंदुओं और मुसलमानों या मंदिर अथवा मस्जिद तक ही सीमित नहीं है बल्कि देश की गरिमा को बहाल करने का है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को अब 1994 में किए गए वादों को पूरा करना चाहिए।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here