खुदी को कर इतना बुलंद कि खुदा भी पूछे तेरी रजा क्या है

कुछ लोगों के लिए उम्र महज एक संख्या होती है। उनके लिए उम्र का मतलब इच्छाओं का मरना नहीं होता है। ऐसे ही एक बुजुर्ग पटना के राजकुमार वैश्य हैं, जिन्होंने 98 साल की उम्र में एमए की डिग्री हासिल की है। नालंदा ओपन विश्वविधालय के दीक्षांत समारोह में बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वैश्य को एमए की डिग्री दी। वैश्य को इकॉनमी में एमए की डिग्री मिली है।

उन्होंने इसी साल सितंबर में हुई विश्वविधालय की परीक्षा में द्वितीय श्रेणी हासिल की। जब वे व्हील चेयर और वॉकर के सहारे अपनी डिग्री लेने स्टेज पर पहुंचे, तो लोगों ने जोरदार ताली बजा कर उनके हौसले को सम्मान दिया।

डिग्री लेने के बाद वैश्य ने कहा, “किसी भी इच्छा को पूरा करने में उम्र कभी आड़े नहीं आती। मैंने अपना सपना पूरा कर लिया है। अब मैं पोस्ट ग्रैजुएट हूं। मैंने दो साल पहले ये तय किया था कि इस उम्र में भी कोई अपना सपना पूरा कर सकता है।” उन्होंने युवाओं को संघर्ष कर जीतने की सलाह दी और कहा कि इस नई पीढ़ी को जिंदगी में हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए।

आपको बता दें कि वैश्य का जन्म 1920 में उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था। उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से 1938 में ग्रेजुएशन किया और इसके बाद कानून की भी पढ़ाई की। लेकिन इसके बाद नौकरी लगने से वह एमए की डिग्री नहीं ले पाए।

वैश्य बताते हैं कि नौकरी लगने के कुछ ही दिनों बाद वह शादी, बच्चों और घरेलू कामों के झंझटों में फंस गए। अब जब उनके बच्चे भी अपने जिंदगी में सेटल हो गए तो उन्होंने अपनी अधूरी इच्छा पूरी करने की ठानी।

इसमें वैश्य के बेटे और बहू ने भी पूरा साथ दिया। आपको बता दें कि वैश्य के बेटे और बहू दोनों प्रोफेसर हैं और दोनों नौकरी से रिटायर भी हो चुके हैं। इन दोनों ने वैश्य की पढ़ाई में अपनी मदद की।

वैश्य के बेटे प्रो संतोष ने बताया कि एक दिन पिताजी ने एमए करने की इच्छा जताई। तभी मैंने नालंदा ओपन विश्वविद्यालय से सम्पर्क साधा और उनका एडमिशन कराया। विश्वविद्यालय ने इस मामले में काफी सहयोग किया और खुद घर आकर एडमिशन की प्रक्रिया को पूरा किया। ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर आर के सिन्हा ने आज के दिन को यूनिवर्सिटी के इतिहास का स्वर्णिम दिन करार दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here