बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने कहा कि यह फैसला कुछ हद तक स्वागत योग्य है। इन्होंने यह सुविधा प्रदान करने के लिये कोई भी पाबन्दी ना तो पहले लगाई थी और ना ही अब लगाई है,बल्कि साफ तौर पर यह कहा है कि केन्द्र और राज्य सरकारें अगर चाहें तो इन वर्गों के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण की सुविधा पहले की तरह ही देती रह सकती हैं। इनके पिछड़ेपन को साबित करने के लिये आंकड़े जुटाने के 2006 के प्रावधान को भी अब समाप्त कर दिया गया है।

उन्होने कहा कि वर्ष 2006 में एम. नागराज मामले में न्यायालय के फैसले के इसी प्रावधान के कारण काफी पहले से चला आ रहा यह कानूनी प्रावधान लगभग निष्क्रिय होकर रह गया था। इसकी वजह से लाखों कर्मचारी जो पदोन्नत पा चुके थे, तो उन्हें रिवर्ट कर दिया गया था जिसको समाप्त कराने के लिये बसपा ने संसद के अन्दर और बाहर कड़ा संघर्ष किया और अन्त में फिर इस सम्बंध में संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा से पारित कराने में सफल हुई।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि हालांकि यह संविधान संशोधन विधेयक केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की जातिवादी नीतियों के कारण अभी तक भी लोकसभा में लम्बित पड़ा हुआ है। संविधान संशोधन विधेयक को अभी पारित करना इसलिए आवश्यक है क्योंकि न्यायालय ने एस.सी./एस.टी. वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण दिये जाने का मामला पहले की तरह बरकरार नहीं रखकर केन्द्र और राज्य सरकारों की कृपा पर छोड़ दिया है। इस मामले में  भाजपा और कांग्रेस की सरकारों का रवैया किसी से छिपा नहीं है। 

                                     -ईएनसी टाईम्स,साभार

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