पांच दिनों में रुद्रप्रयाग जिले के दूसरे जांबाज ने देश की रक्षा में अपनी शहादत दे दी। बीते 14 जून को कविल्ठा गांव के मानवेंद्र सिंह रावत जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में शहीद हो गए थे। वहीं बाड़व निवासी हवलदार फते सिंह नागालैंड के मौन जिले में नक्सली हमले में शहीद हो गए। उत्तराखंड के बहादुर बेटे फतेह सिंह नेगी को बीते सोमवार को पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। शहीद की अंतिम यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा और एक सुर में शहीद फतेह सिंह अमर रहे के नारे लगाए।

मंदाकिनी के तट पर चंद्रापुरी में शहीद फते सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए, उनके बेटे रॉबिन ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान शहीद फते सिंह के बेटे रोबिन ने भींगी आंखों से कहा, कि उन्हें गर्व है कि उनके पिता देश के लिए शहीद हुए हैं लेकिन आतंकी हमलों पर सरकार को कड़ा एक्शन लेना चाहिए, झूठे आश्वासन नहीं देना चाहिए।

शहीद फते सिंह के बड़े भाई ने कहा, कि उनके भाई वर्ष 1989 में फौज में भर्ती हुए थे और देश रक्षा के लिए जो शपथ ली थी उसे अंतिम दम तक पूरा किया। शहीद के अंतिम संस्कार के वक्त लोगों में नाराजगी भी देखने को मिली। लोगों का कहना है कि एक तरफ राष्ट्रीय मीडिया शहीदों को सम्मान देने की बातें करता है वहीं दूसरी तरफ नागालैंड नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों का कोई भी जिक्र नहीं किया गया।

फतेह सिंह की शहादत के बाद से उनके घर, परिवार में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। शहीद के शव को देखकर उनकी पत्नी गीता बेहोश हो गईं। इसके पहले रूद्रप्रयाग के बाड़व निवासी शहीद फते सिंह नेगी का पार्थिव शरीर रूद्रप्रयाग पहुंचते ही श्रद्धांजलि देने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। देश के लिए अपनी जान देने वाले शहीद को हर कोई नम आंखों से विदाई देना चाहता था। शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों लोग उमड़ पड़े। इस दौरान केदारनाथ विधायक मनोज रावत और रूद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी भी शामिल हुए।

—ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन

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