पूर्वोत्तर राज्यों के किले को भेदते हुए बीजेपी ने सफलता का स्वाद चख लिया है। त्रिपुरा में जहां आसानी से वो सरकार बनाने में समर्थ है तो वहीं नगालैंड और मेघालय में भी वो गठबंधन की सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। नगालैंड में बीजेपी की स्थिति तो मजबूत भी है लेकिन मेघालय का परिणाम उसके मन मुताबिक नहीं है। ऐसे में गैर-कांग्रेसी दलों को लेकर ही अमित शाह कोई न कोई रणनीति तय कर रहे होंगे। गोवा में बीजेपी ने इसका उदाहरण पेश कर ही दिया है जहां कांग्रेस अधिक सीट पाने के बावजूद हाथ पर हाथ मलती रह गई थी।
बता दें कि त्रिपुरा में माणिक सरकार ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। माणिक सरकार ने आज त्रिपुरा के गवर्नर को अगरतला में अपना इस्तीफ सौंपा। भाजपा त्रिपुरा में अपनी सरकार बनाने के लिए तैयार है। त्रिपुरा में भाजपा के सत्ता में आने का रास्ता साफ होने के साथ ऐसे राज्यों की संख्या 20 होने जा रही है जहां भाजपा अथवा सहयोगी दलों की सरकारें हैं। भाजपा त्रिपुरा में जीत दर्ज कराने में सफल रही तो यह केवल जोरदार चुनाव प्रचार का नतीजा नहीं है। यह पूर्वोत्तर के राज्यों में विशेष ध्यान देने की उसकी रणनीति का भी परिणाम है। उसने इस रणनीति पर 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही अमल शुरू कर दिया था।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी रविवार को विजय दिवस मना रही है। पूर्वोत्तर राज्य के परिणाम आने के बाद अमित शाह ने इसका ऐलान कर दिया था। केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और बीजेपी नेता ज्वेल ओराम पर्यवेक्षक के तौर पर त्रिपुरा जाएंगे, जबकि जेपी नड्डा और अरुण सिंह नागालैंड के पर्यवेक्षक होंगे। वहीं बता दें कि मेघालय में अभी राजनीतिक गुणा-गणित पार्टियों द्वारा लगाई जा रही है। मेघालय में कांग्रेस 21 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है, जबकि एनपीपी को 19 और बीजेपी को 2 सीटें मिली है। अन्य के खाते में 17 सीट है।