मोदी सरकार और ममता सरकार के बीच की तनातनी जगजाहिर है। ताजा मामला कल स्वतंत्रता दिवस मानाने को लेकर है। पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य के सभी स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थानों को ‘आवश्यक’ निर्देश में कहा है कि वे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित प्रारूप में स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों को रोक दें।’

देश के 70वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में ‘स्कूल व कालेज द्वारा कुछ अतिरिक्त गतिविधियों’ के तहत केंद्रीय मंत्रालय के सर्कुलर को एक तरह  न मानते हुए राज्य सरकार ने 11 अगस्त के अपने निर्देश में कहा है, स्कूली शिक्षा विभाग ने यह तय किया है कि स्वतंत्रता दिवस 2017 को इस तरह नहीं मनाया जाएगा।

बता दें कि इंटरनेट पर यह खबर और ममता सरकार का यह मैसेज वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे इस मैसेज पर लोगों की अलग अलग प्रतिक्रिया भी आ रही है। वायरल मैसेज में पश्चिम बंगाल सरकार की ओर जारी किए गए एक लेटर के साथ दावा किया जा रहा है, ‘क्या वेस्ट बंगाल भारत से अलग है? ममता बनर्जी ने तुगलकी फरमान जारी कर राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस मनाने पर रोक लगा दी है। लोगों ने इसकी शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय में की है।’

किसी ने ममता के इस फैसलेकी निंदा करते हुए लिखा कि “सरकार केंद्र के स्वतंत्रता दिवस मनाने के नियमों के खिलाफ हैं। बंगाल में स्वतंत्रता दिवस न मनाने का आदेश देने वाली ममता को नहीं पता कि बंगाल अभी भारत में ही है?” तो किसी ने उन्हें भारत का भारत में ही मुखौटा पहने हुए दुश्मन बताया जो राष्ट्र गान और राष्ट्रीय गीत गाने से मना करती है।

एक ने तो यहां तक कह डाला कि “पाकिस्तान हमसे कश्मीर मांगता रहा है, पर हम ममता बनर्जी को महबूबा मुफ्ती समेत दान में देने के लिए तैयार हैं।”

इतना ही नहीं एक व्यक्ति ने तो उन्हें शर्म करने तक की सलाह दे डाली। अपने ट्वीट में लिखा “ ममता देशभक्ति जागरूक करने वाले के खिलाफ ऐसा करते हुए क्या आपको शर्म नहीं आती? जल्दी स्वस्थ हो जाइए।”

उधर मानव संसाधन विकास  मंत्री प्रकाश जावडेकर ने ममता बनर्जी की अगुआई वाली तृणमूल सरकार के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। जावडेकर ने पत्रकारों से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प सिद्धि का शपथ दिलाना या स्वतंत्रता संग्राम या विभिन्न युद्धों, आतंकी हमलों में शहीदों को याद करना स्कूलों के लिए बाध्यकारी नहीं है। यह सेक्यूलर एजेंडे का हिस्सा है, राजनीतिक पार्टी का एजेंडा नहीं।

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