उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले दिनों एटीएस की मुठभेड़ में मारे गये आतंकी सैफुल्लाह मामले में योगी सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिये हैं। बीते 8 मार्च को यूपी एटीएस की टीम ने लखनऊ में 11 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद आतंकी सैफुल्लाह को मार गिराया था। उसके पास से 8 रिवॉल्वर, 650 कारतूस, कई बम और रेलवे का मैप मिला था।

बीते 7 मार्च को मध्य प्रदेश के शाजापुर में भोपाल-पैसेंजर ट्रेन में धमाका हुआ था। जिसमें 10 लोगों के घायल होने की सूचना आई थी। धमाके के बाद उसी दिन दोपहर को एमपी पुलिस चार संदिग्ध पकड़े। इनकी गिरफ्तारी के बाद कानपुर से दो और इटावा से एक संदिग्ध गिरफ्तार किया था। इन संदिग्धों से मिली जानकारी संदिग्ध आतंकी सैफुल्लाह को एंकाउटर में मारा गया।

यूपी एटीएस के आईजी असीम अरूण ने बताया कि आतंकी को जिंदा पकड़ने की हर मुमकिन कोशिश की गयी थी। उन्होंने बताया कि पहले कैमरों में देखने पर ऐसा लग रहा था कि वहां दो आतंकी छिपे हैं, लेकिन अंदर एक ही आतंकी छिपा था। पुलिस ने घर में तलाशी अभियान में आईएसआईएस से जुड़े कई दस्तावेज और भारी संख्या में हथियार और गोला-बारुद बरामद किये थे। एटीएस टीम के मुताबिक, आतंकी सैफुल्लाह आईएस से प्रभावित खुरासान माड्यूल का सदस्य था।

हालांकि, बाद में उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून और व्यवस्था) दलजीत सिंह चौधरी ने खुलासा किया कि सैफुल्लाह और उसके साथियों का आईएसआईएस से कोई सीधा संपर्क नहीं था। आरोपी खुद ही सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से आईएस से प्रभावित हुए थे। वे आईएस के खुरासान मॉड्यूल के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहते थे।

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