प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ मुहिम अब रंग लाने लगी है। गुणवत्ता भरे उत्पादों की बात की जाए तो भारत में बने उत्पाद लोगों को दुनिया में काफी पंसद आ रहे हैं। यूरोपीय संघ एवं दुनिया के 49 बड़े देशों को लेकर सोमवार को मेड इन कंट्री इंडेक्स जारी किया गया। इस रिपोर्ट के मुताबिक उत्पादों की साख के मामले में प्रतिद्वंदी चीन हमसे 7 पायदान पीछे है। सूचकांक में भारत को कुल 36 अंक मिले हैं, जबकि चीन को 28 अंकों से संतोष करना पड़ा।

यह सर्वे दुनियाभर के 43,034 उपभोक्ताओं की संतुष्टि के आधार पर स्टैटिस्टा ने अंतरराष्ट्रीय शोध संस्था डालिया रिसर्च के साथ मिलकर किया है। यूरोपीय संघ समेत इस सर्वे में शामिल हुए 50 देश दुनिया की 90 फीसदी आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। सर्वे में उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा मानक, कीमत की वसूली, विशिष्टता, डिजायन, एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, भरोसेमंद, टिकाऊपन, सही तरीके का उत्पादन और प्रतिष्ठा को शामिल किया गया है। इंडेक्स से साफ है कि घटिया और सस्ते उत्पादों के दम पर चीन भले ही दुनियाभर में अपनी बादशाहत दिखाता हो, लेकिन गुणवत्ता और भरोसे के मामले में वह भारत से काफी पीछे है।

गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 25 सितंबर 2014 को मेक-इन-इंडिया मुहीम की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत मोदी जी का मकसद अपने देश में व्यापार को बढ़ावा देना था जिससे हमारे देश को व्यापरियों को भी फायदा हो और उपभोक्ताओं को भी। इस अभियान के तहत विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए बेहतर अवसर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसी संकल्प का नतीजा है कि भारत पनडुब्बी से लेकर सेटेलाइट तक खुद बनाने में सक्षम हो चुका है। 2014 में देशी कंपनियों द्वारा निर्मित मंगलयान मंगल की कक्षा में पहले प्रयास में स्थापित करने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश बना।

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