Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: पंजाब के शेर लाला लाजपत राय का है आज 158वां जन्मदिन, पढ़ें इतिहास

लहूलुहान होने के बावजूद जुलूस के सामने खड़े होकर काफी देर तक भाषण दिया। इस निर्मम पिटाई के बाद लाला जी अधिक दिनों तक जीवित न रह सके और 17 नवंबर, 1928 को पाकिस्तान के लाहौर (तब भारत में था) में उनका निधन हो गया।

0
474
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: पंजाब केशरी और शेर नाम से पहचान बनाने वाले भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय का आज 158वां जन्मदिन है। लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) का जन्म पंजाब (Punjab) के मोगा जिले में 28 जनवरी 1865 को एक अग्रवाल परिवार में हुआ था। भारत की स्वतंत्रता में इन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। लाला को पंजाब का शेर और पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने हिंदी को देश में लागू करने के लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था। इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की थी।

जीवनभर ब्रिटिश शासन की खिलाफत करने वाले और अपने जान की परवाह न करने वाले लाला लाजपत राय को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए पंजाब केसरी भी कहा जाता है। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ‘गरम दल’ के प्रमुख नेता तथा पूरे पंजाब के प्रतिनिधि थे। लालाजी को ‘पंजाब के शेर’ की उपाधि भी मिली थी।

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: ‘साइमन कमीशन’ के खिलाफ आंदोलन

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary

इन्होंने कानून की शिक्षा प्राप्त कर हिसार में वकालत शुरू की। बाद में स्वामी दयानंद के सम्पर्क में आने के कारण लाला जी आर्य समाज के प्रबल समर्थक बन गए। यहीं से इनमें राष्ट्रीयता की भावना जागृत हुई। लाला जी को पंजाब में वही स्थान प्राप्त था, जो महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक को।

30 अक्टूबर, 1928 में उन्होंने लाहौर में ‘साइमन कमीशन’ के खिलाफ आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। साइमन कमीशन वापस जाओ, साइमन कमीशन गो बैक के नारे लगे। पुलिस ने लाठियां संभालीं और जुलूस पर टूट पड़ी। लालाजी को तो उन्होंने पहले ही ताक में रखा था। उन्हें गिराकर वे निर्ममतापूर्वक उन पर लाठियां बरसाने लगे। लालाजी का सारा शरीर क्ष‍त-विक्षत हो गया।

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: अंग्रेजों को संदेश

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 157th
Lala Lajpat Rai Birth Anniversary 157th

लहूलुहान होने के बावजूद जुलूस के सामने खड़े होकर काफी देर तक भाषण दिया। इस निर्मम पिटाई के बाद लाला जी अधिक दिनों तक जीवित न रह सके और 17 नवंबर, 1928 को पाकिस्तान के लाहौर (तब भारत में था) में उनका निधन हो गया। पर जाते-जाते वे कह गए, मेरे शरीर पर पड़ी प्रत्येक लाठी अंग्रेजी सरकार के कफन पर कील का काम करेगी।

हिंदी भाषा के लिए हस्ताक्षर अभियान

लालाजी ने हिंदी में शिवाजी, श्रीकृष्ण और कई महापुरुषों की जीवनियाँ लिखीं। उन्होंने देश में और विशेषतः पंजाब में हिन्दी के प्रचार-प्रसार में बहुत सहयोग दिया। देश में हिन्दी लागू करने के लिये उन्होने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था।

संबंधित खबरें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here