Sedition Law पर रोक के बाद कानून मंत्री Kiren Rijiju बोले- हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री Sharad Pawar ने कहा कि 1890 में ब्रिटिश शासकों द्वारा राजद्रोह के लिए किसी पर भी मुकदमा चलाने के लिए राजद्रोह था। उन्होंने कहा कि राजद्रोह कानून पुरातन है और इसे निरस्त करने की आवश्यकता है।

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Kiren Rijiju on Sedition Law
Kiren Rijiju on Sedition Law

Sedition Law: सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह पर कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों को आईपीसी की धारा 124ए के तहत कोई भी FIR दर्ज़ न करने का निर्देश दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून पर रोक नहीं लगाने की अपील की थी और कहा कि पुलिस अधीक्षक (SP) या उससे ऊपर रैंक के अधिकारी की मंजूरी के बिना राजद्रोह संबंधी धाराओं में एफआईआर दर्ज नहीं की जाएगी। अब इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू का बयान आया है।

कोर्ट को बताया है प्रधानमंत्री का इरादा: Kiren Rijiju

राजद्रोह कानून पर कोर्ट की रोक के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि हमने अपनी बातों को स्पष्ट कर दिया है और कोर्ट के सामने प्रधानमंत्री का इरादा भी बताया है। अब इसके बाद क्या होता है ये मुझे नहीं पता लेकिन मैं ये कहना चाहता हूं कि हमें कोर्ट का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भारतीय संविधान के प्रावधानों के साथ-साथ मौजूदा कानूनों का भी सम्मान करें।

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Kiren Rijiju on Sedition Law

Sedition Law की आवश्यक्ता नहीं-Sharad Pawar

बता दें कि इससे पहले राजद्रोह कानून पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा कि धारा 124/ए अंग्रेजों द्वारा लाई गई थी जिन्होंने उनके खिलाफ विद्रोह किया था। स्वतंत्रता पूर्व में, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों के खिलाफ राजद्रोह अधिनियम का इस्तेमाल किया गया था। लोगों ने आजादी के लिए लड़ाई लड़ी और देशद्रोह के आरोपों का सामना किया। अब, भारत एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश है। इसलिए, हमें ब्रिटिश युग, देशद्रोह अधिनियम की आवश्यक्ता क्यों है।

NCP chief Sharad Pawar said Opposition coalition is difficult before Lok Sabha elections
Sharad Pawar

पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि 1890 में ब्रिटिश शासकों द्वारा राजद्रोह के लिए किसी पर भी मुकदमा चलाने के लिए राजद्रोह था। उन्होंने कहा कि राजद्रोह कानून पुरातन है और इसे निरस्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में लोग हमेशा सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हैं। उनकी लड़ाई देश के खिलाफ नहीं है, बल्कि विभिन्न मुद्दों पर मौजूदा सरकार के खिलाफ है। लोकतंत्र में लोगों को आवाज उठाने का पूरा अधिकार है।

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