Kiran Kumar Reddy Joins BJP: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री किरण कुमार रेड्डी कांग्रेस पार्टी को छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं। दिल्ली में शुक्रवार को बीजेपी के पार्टी मुख्यालय में पहुंच संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई। बता दें कि इससे पहले किरण रेड्डी ने 12 मार्च को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था।
तेलंगाना के अलग राज्य बनने से पहले आंध्र प्रदेश के अंतिम मुख्यमंत्री रहे किरण कुमार रेड्डी शुक्रवार को भाजपा में शामिल हो गए। यह पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे को एक लाइन का त्याग पत्र भेजकर कांग्रेस छोड़ने के कुछ सप्ताह बाद आया।
Kiran Kumar Reddy Joins BJP: बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस के लिए कही ये बात
Kiran Kumar Reddy Joins BJP: दक्षिण भारत में कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। आंध्रप्रदेश के पूर्व सीएम किरण कुमार रेड्डी ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है। उन्होंने शुक्रवार को बीजेपी के कार्यालय में बीजेपी की सदस्याता ग्रहण की।ऐसा माना जा रहा है कि नेतृत्व में गतिरोध के चलते उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस पार्टी को छोड़ने के बाद पूर्व सीएम किरण रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी लोगों के मत को समझने में असमर्थ है। कांग्रेस पार्टी लोगों के मत को नहीं समझ पा रही है। कांग्रेस पार्टी न तो विश्लेषण कर रही है कि गलती क्या है और न ही वे सही करना चाहते हैं। वह यही सोचने हैं कि मैं ही सही हूं और देश की जनता सहित बाकी सब गलत हैं। इसी विचारधारा कि वजह से मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया है।
साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान के गलत फैसलों की वजह से राज्य दर राज्य पार्टी टूट रही, यह एक राज्य की बात नहीं। एक पुरानी कहानी है कि मेरा राजा बहुत बुद्धिमान है वह अपने आप नहीं सोचता और न ही किसी का सुझाव मानता है। आप सबको पता चल गया होगा कि मैं क्या कहना चाहता हूं
Kiran Kumar Reddy Joins BJP: तेलंगाना के अलग राज्य के फैसला का किया था विरोध
Kiran Kumar Reddy Joins BJP: किरण कुमार ने 2014 में तत्कालीन यूपीए सरकार के आंध्र प्रदेश को विभाजित करने और तेलंगाना को अलग करने के फैसले के विरोध में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी पार्टी ‘जय समैक्य आंध्र’ बनाई और यहां तक कि 2014 के चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार भी उतारे।
हालांकि बिना किसी चुनावी लाभ के पूर्व सीएम 2018 में फिर से कांग्रेस में शामिल होने से पहले लंबे समय तक राजनीति से दूर रहे। आंध्र प्रदेश का विभाजन कांग्रेस के लिए भारी कीमत पर हुआ – विभाजन के बाद पार्टी नेताओं का बड़े पैमाने पर पलायन हुआ और तब से सबसे पुरानी पार्टी आंध्र प्रदेश में एक भी लोकसभा या विधानसभा सीट नहीं जीत पाई है।
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