कांची मठ के शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती का बुधवार को निधन हो गया। कांची कामकोटि पीठ के 69वें प्रमुख जयेंद्र सरस्वती स्वामिगल 82 वर्ष के थे। तमिलनाडु के कांचीपुरम में उन्होंने अपनी अंतिम सांसे लीं। खबरों के मुताबिक, शंकराचार्य को बेचैनी की शिकायत होने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। वह पिछले कई महीनों से बीमार थे। बीते महीने भी अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई थी, जिसके बाद उन्हें पिछले महीने चेन्नई के रामचंद्र अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। बाद में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। बताया जा रहा है कि उनका ब्लड शुगर काफी नीचे चला गया था।

जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक के प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। 1994 में वह श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के 69वें प्रमुख बने थे। कई स्कूलों, नेत्र चिकित्सालयों तथा अस्पतालों का संचालन करने वाले कांची कामकोटि पीठ की स्थापना पांचवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी, तथा जयेंद्र सरस्वती इसी के मौजूदा प्रमुख थे। उन्हें 22 मार्च, 1954 को श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामिगल का उत्तराधिकारी घोषित कर श्री जयेंद्र सरस्वती की उपाधि दी गई थी। जयेंद्र सरस्वती पर 2004 में अपने ही वरदराजपेरूमल मंदिर के प्रबंधक शंकररमण की हत्या का आरोप लगा था। हालांकि, 9 साल तक चले मामले के बाद कोर्ट ने 2013 में उन्हें बरी कर दिया था।

बता दें कि जयेंद्र सरस्वती जी को वेदों का ज्ञाता माना जाता था।  हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार में अहम रोल निभाने वाले जयेंद्र सरस्वती ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विभिन्न पक्षों के साथ बातचीत का सिलसिला शुरू किया था। जयेंद्र सरस्वती की पहल से मुफ्त अस्पताल, शिक्षण संस्थान और बेहद सस्ती कीमत पर उच्च शिक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय तक संचालित हैं।

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