कमल हासन की लोग जितना एक अभिनेता के तौर पर पसंद और प्रशंसा करते हैं वैसे ही लोग उनके राजनीतिक पार्टी बनाने का भी समर्थन कर रहे हैं। जिसका प्रमाण जनता ने पार्टी बनाने के लिए चंदे के तौर पर पैसे भेजकर दे दिया है। लेकिन दूसरी तरफ कमल हासन ने वह भेजे हुए पैसे लौटाने का निर्णय लिया है। यह घोषणा कमल ने एक तमिल मैगजीन में लिखे अपने साप्ताहिक लेख में की है। उन्होंने लिखा है कि वह राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए मिले चंदे को प्रशंसकों को वापस कर देंगे।

साथ ही उन्होंने इस लेख में यह भी कहा है कि राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए मिले चंदे को वापस करने का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि मैं अपने पैर पीछे खींच रहा हूं। लेख में उन्होंने आगे लिखते हुए कहा, ‘मुझे लोग पैसा और खत भेज रहे हैं, लेकिन मैं अब अगर इसको स्वीकार करता हूं, तो यह गैर कानूनी होगा। इसलिए मैं इस पैसे को लोगों को वापस कर रहा हूं। मैं चंदे के पैसे को लेने से पहले इसके बुनियादी सिद्धांत बनाना चाहता हूं।

आपको बता दें कि कमल हासन को प्रशासकों द्वारा भेजी गई रकम राशि 30 करोड़ रुपए है। कमल हासन ने यह भी कहा कि पार्टी को मजबूत बनाना है ताकि मेरे बाद भी पार्टी का भविष्य उजाले में रहे और आन्दोलन जारी रहे।

कमल हासन ने ‘हिंदू आतंकवाद’ संबंधी टिप्पणी पर कहा कि उन्होंने कभी इस शब्द का इस्तेमाल तक नही किया। मैं अपने फैन्स को ‘आतंक फैन’ नहीं कह सकता हूं। हिंदू आतंकवाद शब्द कांग्रेस की देन है, जिसको उसने बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल किया। मैंने उग्रवाद शब्द का इस्तेमाल किया था, जिस पर मैं आज भी कायम हूं।  मैंने कहा था कि उग्रवाद बढ़ रहा है, लेकिन मैंने हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया।”

इस मामले में कमल हासन ने कहा है कि वे वाराणसी जाएंगे और वहां अपने खिलाफ लंबित मुकदमे को लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह जिस यात्रा पर निकले हैं, यह उसका एक हिस्सा है। मैंने लोगों से मिलने के सिलसिला शुरू कर दिया है और मैं इसको जारी भी रखूंगा। बता दें, वाराणसी की एक अदालत ने इस मामले में दायर शिकायत पर सुनवाई के लिए 22 नवंबर की तारीख नियत की है। कमल हासन के खिलाफ यह शिकायत वाराणसी के एसीजेएम सुधाकर दूबे की कोर्ट में अधिवक्ता कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने दर्ज कराई है और मुकदमा चलाने की मांग की है।

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