टेलीवीजन रेटिंग प्वांइट के फर्जीवाड़े केस की जांच सीबीआई कर रही है। इसी सिलसिले में सीबीआई की टीम लखनऊ के हजरतगंज पहुंची। वीआईपी गेस्ट हाउस में दो पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की।
सीबीआई की टीम यहां पर दो घंटे तक मौजूद थी। सभी दस्तावेज को खंगालने के बाद हजरतगंज पुलिस स्टेशन के अधिक्षक से बात करने के बाद टीम रवाना हो गई।
आशंका जताई जा रही हैं कि इस मामले की एफआईआर कराने वाले गोल्डेन रैबिट कम्पनी के रीजनल डायरेक्टर कमल शर्मा से भी सीबीआई गुरुवार को पूछताछ करेगी।
इंदिरानगर में रहनेवाले कमल शर्मा की गुहार पर पुलिस ने 17 अक्तूबर को गोपनीय तरह से एफआईआर दर्ज की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि गलत तरीके से कुछ चैनलों के द्वारा टीआरपी बढ़ाकर विज्ञापनदाताओं और उपभोक्ताओं को लूटा जा रहा है।
इसके अलावा भी कमल ने कई और जानकारियां तहरीर में दी थी। इस एफआईआर दर्ज होने के तीन दिन में ही प्रदेश सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी थी। सीबीआई ने मंगलवार को ही इस मामले की जांच स्वीकार कर ली थी। सीबीआई इस मामले में कुछ और जानकारी भी जुटायेगी। दावा किया जा रहा है कि सीबीआई की यह टीम दो दिन लखनऊ में रुकेगी।
जानकारी के अनुसार पुलिस ने इस स्कैम के सिलसिले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें कथित तौर पर वे घर भी शामिल हैं जो सैंपल सेट के रूप में काम करते हैं, जिनके टीवी देखने को यह सुनिश्चित करने के लिए मॉनिटर किया जाता था कि कुछ निश्चित चैनलों को अधिक रेटिंग मिले। रेटिंग विज्ञापन प्राप्त करने के लिए अहम कारक है।
रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाली कंपनी एआरजी आउटलाइर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और इसके एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी पिछले हफ्ते बॉम्बे हाई कोर्ट पहुंचे और चैनल के खिलाफ मुंबई पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की। चैनल ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से याचिका पर सुनवाई से इनकार के बाद 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मुंबई क्राइम ब्रान्च ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं में धोखाधड़ी, विश्वास का आपराधिक उल्लंघन और आपराधिक साजिश जैसे आरोपों के तहत रिपब्लिक टीवी और इसके वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया। पुलिस ने दो क्षेत्रीय चैनलों के खिलाफ भी केस दर्ज किया है।
बता दें कि टीआरपी या टेलीविज़न रेटिंग किसी चैनल या प्रोग्राम के पॉइंट्स का उपयोग विज्ञापन एजेंसियों द्वारा लोकप्रियता को मापने के लिए किया जाता है जो मूल्य निर्धारण को प्रभावित करते हैं।
भारत में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल द्वारा “बार-ओ-मीटर” नामक देश के 45,000 से अधिक घरों में स्थापित डिवाइस का उपयोग करके डेटा की गणना की जाती है। उपकरण इन घरों के सदस्यों द्वारा देखे गए किसी प्रोग्राम या चैनल के बारे में डेटा एकत्र करता है जिसके आधार पर साप्ताहिक रेटिंग्स को बार्क द्वारा जारी किया जाता है।