जिस अर्थव्यवस्था को बुलंदी तक पहुंचाने के लिए नोटबंदी और जीएसटी जैसे उपाय किए गए, अब उसके नकारात्मक परिणाम सुनने में आ रहे हैं। जी हां, भारत की आर्थिक वृद्धि को देखते हुए विश्व बैंक ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की दर कम रहने का अनुमान लगाया है। विश्व बैंक के मुताबिक 2017 में भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर की रफ्तार 7.0 फीसदी रह सकती है। यह 2015 के 8.6 फीसदी के अनुमान से 1.5 फीसदी कम होगा। खास बात यह है कि विश्व बैंक ने इसकी प्रमुख वजह नोटबंदी और जीएसटी बताई।
मोदी सरकार द्वारा लागू नोटबंदी और जीएसटी का नकारात्मक असर सिर्फ विपक्षी पार्टी और कुछ अर्शशास्त्री ही नहीं कर रहे। बल्कि अब उस श्रेणी में विश्व बैंक भी शामिल हो गया है। विश्वबैंक ने चेताया भी है कि अंदरुनी व्यवधानों से निजी निवेश के कम होने की संभावना है, जो देश की वृद्धि क्षमताओं को प्रभावित कर नीचे की ओर ले जाएगा। विश्व बैंक ने कहा है कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर प्रभावित हुई है। बैंक ने कहा है कि जीएसटी 2018 की शुरुआत तक इकोनॉमी को परेशान कर सकता है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने भी इस साल के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को करीब आधा प्रतिशत घटाकर 6.7 फीसद कर दिया है।
बता दें कि आइएमएफ ने चीन के लिए 6.8% की वृद्धि दर का अनुमान जताया है। हालांकि विश्वबैंक ने ये भी कहा है कि सार्वजनिक व्यय और निजी निवेश के बीच संतुलन स्थापित करने वाली स्पष्ट नीतियों से 2018 तक यह वृद्धि दर बढ़कर 7.3% हो सकती है। विश्व बैंक ने कहा है कि जीएसटी के बाद मैन्युफैक्चरिंग और सेवाएं काफी बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं और इनमें काफी बड़े स्तर पर संकुचन हुआ है। ऐसे में मोदी सरकार अब कौन सी नीति अपनाएगी ये तो वही जानें लेकिन हाल फिलहाल भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति कुछ ठीक होती नहीं दिख रही।