आखिर क्यों चर्चा में हैं तमिलनाडु के Governor आरएन रवि?

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल आरएन रवि (Governor RN Ravi) द्वारा विधानसभा में अपने संबोधन के कुछ भागों को छोड़ने का मामला राज्य में अपनी तरह का पहला मामला है।

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Governor: आखिर क्यों चर्चा में हैं तमिलनाडु के राज्यापल आरएन रवि? - APN News

पिछले दो दिनों से देश के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु (Tamil Nadu) में राजनीति उफान पर है। सोमवार 9 जनवरी 2022 को विधानसभा में दिए गए राज्यपाल (Governor) आरएन रवि (Governor RN Ravi) के अभिभाषण के दौरान जमकर हंगामा हो गया था। राज्यपाल ने कहा कि राज्य का नाम तमिलनाडु के बजाय तमिझगम करना ज्यादा बेहतर होगा।

क्या कह रहे हैं तमिलनाडु के सत्ताधारी दल?

DMK नेताओं ने कहा कि राज्यपाल (Tamil Nadu Governor) ने भाषण बीच में छोड़कर परंपरा को तोड़ा है और यह उनके लिए बेईमानी थी कि उन्होंने पहले भाषण पर आपत्ति नहीं की, लेकिन भाषण देते समय अपनी असहमति दर्ज करा दी। अभिभाषण के जिन अंशों को राज्यपाल रवि ने छोड़ने के लिए चुना, वे बीआर अंबेडकर, द्रविड़ नेताओं, शासन के द्रविड़ मॉडल और तमिलनाडु में कानून और व्यवस्था की स्थिति के बारे में थे।

Tamil Nadu Governor R.N. Ravi adddressing assembly
Tamil Nadu Governor R.N. Ravi adddressing assembly

राज्यपाल द्वारा राज्य का नाम तमिलनाडु के बजाय तमिझगम करने को लेकर दिए गए सुझाव के बाद से सत्ताधारी DMK, सहयोगी कांग्रेस (Congress) और विदुथलाई चिरुथिगाल काची (VCK) के विधानसभा सदस्यों ने जमकर नारेबाजी की जिसके बाद राज्यपाल स्पीच बीच में ही छोड़कर सदन से बाहर चले गए। डीएमके और कांग्रेस ने कहा कि राज्यपाल यहां RSS और भाजपा का एजेंडा चलाना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे।

Stalin and RN Ravi
Stalin and RN Ravi

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वे मामले जब Governor ने नहीं पढ़ा अभिभाषण

तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधानसभा में अपने संबोधन के कुछ भागों को छोड़ने का मामला राज्य में अपनी तरह का पहला मामला है। हांलाकि, केरल में कम से कम तीन बार राज्यपाल विधानसभा में अपने संबोधन के कुछ भागों को छोड़ दिया था। देश में इस तरह का पहला मामला केरल (Kerala) में सामने आया था जब 1969 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नंबूदरीपाद की सरकार द्वारा दिए गए अभिभाषण में से राज्यपाल वी विश्वनाथन (Venkata Viswanathan) ने केंद्र सरकार के खिलाफ महत्वपूर्ण संदर्भों को पढ़ने से इनकार कर दिया था। इस बारे में राज्यपाल ने कहा था कि उन्होंने उन्हें (मुख्यमंत्री को) पहले ही बता दिया था कि वह ये भाग नहीं पढ़ेंगे। इसके अलावा जून 2001 में केरल के राज्यपाल सुखदेव सिंह कांग, और 2018 में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पी. सदाशिवम ने भी अभिभाषण के कुछ हिस्से पढ़ेने से मना कर दिया था।

P Sathashivam
P Sathasivam

केरल के अलावा मार्च 1969 में, पश्चिम बंगाल के तत्कालीन राज्यपाल धर्मवीर ने पश्चिम बंगाल विधायिका के संयुक्त सत्र में अपने संबोधन के दौरान कुछ पैराग्राफों को छोड़ दिया था। तमिलनाडु मे ही जून 2011 में, जयललिता के मुख्यमंत्री बनने के बाद, राज्यपाल सुरजीत सिंह बरनाला ने अपने संबोधन के पाठ में लिखी गई कुछ बातों को ही पढ़ा तो वहीं विधानसभा के अध्यक्ष डी. जयकुमार ने संबोधन के तमिल संस्करण को पूरा पढ़ा। उस समय बरनाला ने अपने स्वास्थ्य ठीक न होने का कारण बताया था। केरल में 2020 में भी ऐसा ही मामला सामना आया ता जब राज्यपाल आरिफ खान ने कुछ अंश पढ़ने से मना कर दिया था।

वहीं, 2017 में, त्रिपुरा के तत्कालीन राज्यपाल तथागत रॉय ने लेफ्ट की सरकार द्वारा तैयार किए गए अपने भाषण के कुछ हिस्सों को छोड़ दिया था, जिनमें भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा गया था।

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क्या राज्यपाल छोड़ सकते हैं अभिभाषण के अंश?

भारत के संविधान के अनुसार राज्यपाल प्रत्येक वर्ष विधानसभा के पहले सत्र को संबोधित करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 175 और 176 के तहत राज्यपाल से हर साल राज्य के पहले विधानसभा सत्र और प्रत्येक विधानसभा चुनाव के बाद नए विधानमंडल के पहले सत्र को संबोधित करने की उम्मीद की जाती है।

The President Shri Ram Nath Kovind addressing the concluding session of the 50th Conference of Governors 1
The President Ram Nath Kovind addressing the concluding session of the 50th Conference of Governors

भारतीय संविधान (Constitution) में राज्यपाल की भूमिका को लेकर पुस्तक लिखने वाले शिवरंजन चटर्जी के अनुसार संविधान सभा का इरादा था कि राज्यपाल का अभिभाषण मंत्रिपरिषद द्वारा तैयार किया जाएगा, और इसमें किसी चीज का भी उल्लंघन की संविधान की भावना का उल्लंघन होगा। चटर्जी लिखते हैं कि “यदि कोई राज्यपाल इस परिपाटी का उल्लंघन करता है और अपनी विवेकाधीन शक्ति की आड़ में अभिभाषण के किसी पैरा को हटा देता है, तो वो ‘गैरकानूनी’ है; लेकिन यह निश्चित रूप से सरकार की संसदीय प्रणाली के मानदंडों की जड़ों पर प्रहार करेगा।”

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कौन तैयार करता है राज्यपाल का अभिभाषण?

राज्यपाल का अभिभाषण राज्य सरकार द्वारा तैयार किया जाता है। इसमें पिछले वर्ष में सरकार द्वारा किए गए कार्यों और उपलब्धियों की समीक्षा, सत्र के लिए इसकी योजनाएं, और नीति के साथ-साथ विधायी प्रस्ताव भी शामिल होते हैं जिन्हें सरकार आने वाले वर्ष में लागू करने की योजना बना रही है। यह राज्य सरकार द्वारा राज्यपाल को पहले से तैयार कर दिया जाता है, और राज्यपाल को इसे बिना किसी कांट-छांट के पढ़ने की परंपरा है।

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