चीन की दक्षिण एशिया में प्रस्तावित वन बेल्ट वन रोड परियोजना के चैलेंज से पार पाने के लिए भारत की नई रणनीति सामने आई है। भारत इस तनाव के बीच आसियान देशों के साथ कनेक्टिविटी मजबूत करने की योजना बना रहा है।

भारत इस योजना पर जापान की मदद से काम कर रहा है, जो उसकी ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है। 11 और 12 दिसंबर को होने वाली इस समिट में सभी 10 आसियान देश शामिल होने वाले हैं। वियतनाम और कंबोडिया की ओर से मंत्री स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस समिट में मौजूद होगा। जापान अकेला ऐसा देश है, जो आसियान में न होने के बाद भी इस समिट में मौजूद होगा। भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच आर्थिक और औद्योगिक संबंधों को मजबूत करने के मकसद से इस समिट का आयोजन किया जा रहा है।

आसियान-इंडिया कनेक्टिविटी समिट भारत और जापान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों ही देश चीन के OBOR प्रॉजेक्ट के काउंटर बैलेंस के तौर पर इसे देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि OBOR के जरिए चीन उन देशों को कर्ज में दबा सकता है, जहां से होकर यह गलियारा निकलेगा या फिर निवेश परियोजनाएं लगेंगी। अधिकारियों ने बताया कि भारत की विकास साझेदारी पूरी तरह से पार्टनर देशों की जरूरतों पर निर्भर है और विदेश मंत्रालय ने तकनीकी या आर्थिक तौर पर जितना संभव है, उतना इन देशों को मदद का भरोसा दिया है।

बता दें कि चीन के प्रस्तावित वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट के तहत बनने वाला चीन-पाक आर्थिक गलियारा जम्मू-कश्मीर के उस इलाके से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना मानता है। इसी के चलते इस प्रॉजेक्ट पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है। अब भारत ने चीन को इस मोर्चे पर जवाब देने के लिए काउंटर-बैलेंस की रणनीति अपनाई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here