भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को सिंध की याद एक बार फिर आई है। इससे पहले भी आडवाणी कई बार सिंध के प्रति अपना लगाव दिखा चुके हैं। आडवाणी ने सिंध के प्रति अपना लगाव इस बार सोमवार को दिल्ली के इंडिया फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में दिखाते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की दिशा में पहल करनी चाहिए। उन्होंने सीधे तौर पर किसी देश का नाम तो नहीं लिया लेकिन यह कहना भी नहीं भूले कि एशिया में कई देश ऐसे भी हैं जिनसे रिश्ते सुधरने से उन्हें खुशी होगी।

दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में भारत दौरे पर आई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भी मौजूद थीं। लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सिंध को भारत का हिस्सा होना चाहिए था क्योंकि भारत सिंध के बिना अधूरा है। कार्यक्रम में उन्होंने सिंध में अपने पुराने दिन को याद करते हुए कहा कि जब देश का बंटवारा हुआ था तब मैं सिंध में आरएसएस के साथ जुड़ा हुआ था। उन्होंने कराची का जिक्र करते हुए कहा कि जहां मेरा जन्म हुआ है वो भारत का नहीं बल्कि पाकिस्तान का  हिस्सा है। कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के साथ-साथ कई और भी देश हैं जिनसे भारत को संबंध सुधारने की आवश्यकता है। भावुक होते हुए लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि सिंध कभी भारत का हिस्सा नहीं था लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत ने उस देश के हिस्से को भी खो दिया जिससे मैं बहुत दुखी हूं। मैं चाहता हूं कि उस देश के साथ भी वैसे ही रिश्ते बनें जैसे कि भारत और बांग्लादेश के बीच हैं।

इससे पहले भी जनवरी में लालकृष्ण आडवाणी ने प्रजापति ब्रह्म कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संस्थापक आध्यात्मिक गुरू पिताश्री ब्रह्मा के 48वें अधिरोहण समारोह को संबोधित करते हुए कुछ इसी तरीके का बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि सिंध के बिना भारत अधूरा है। लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में एक सिंधी परिवार में हुआ था। जन्म स्थान और बचपन की यादें जुड़े होने के कारण ही कराची उनका सबसे पसंदीदा शहर भी है और इस बात को वह खुद स्वीकार करते हैं। उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन की शुरूआत 1942 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ जुड़कर की थी। 1951 में  उन्होंने जनसंघ की स्थापना श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ मिलकर की थी।जनसंघ को ही अब भारतीय जनता पार्टी के नाम से जाना जाता है।

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