केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज सदन में कहा कि जिन लोगों का कोई खबर नहीं हो उन्हें मृत कहना पाप है और मैं यह पाप नहीं ले सकती। उन्होंने कहा कि मोसुल मुद्दे पर मैंने देश को कभी गुमराह नहीं किया। मैंने जब भी कोई बयान दिए, अपने स्रोतों के हवाले से दिए।

हाल ही में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि इराक में 2014 में लापता हुए 39 भारतीय नागरिक बादुश के एक जेल में बंद हो सकते हैं। वहीं भारत दौरे पर आए इराकी विदेश मंत्री ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था। तब से विपक्ष सुषमा पर देश को गुमराह करने का आरोप लगा रहा था।

विदेश मंत्री ने विपक्ष के आरोपों और उन खबरों को खारिज किया, जिसमें कहा गया था कि इराक में लापता भारतीय जीवित नहीं हैं। सुषमा स्वराज ने सदन को बताया कि इसके कोई साक्ष्य नहीं हैं कि इराक के मोसुल में गायब 31 भारतीयों की मौत हो गई है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उनके वहां जिंदा या मौजूद होने के भी सबूत नहीं मिले हैं।

सुषमा ने भावुक होकर कहा, ‘मैंने कभी लोगों को गुमराह नहीं किया, इससे मेरा क्या फायदा होगा। मेरी आस्था लोकतंत्र और ससंद में है। इराक के विदेश मंत्री भी यही बात कह रहे हैं कि वे नही जानते कि वे जिन्दा है या मर गए। बिना किसी सबूत के किसी को मारा हुआ कहना पाप है, और मैं इस पाप की भागीदार नहीं बनूंगी। अगर मैं आज कह दूं कि वो मर गए हैं पर कल को कोई जीवित निकला तो किसे दोष देंगे।’

Sushma Swarajउन्होंने कहा, ‘मैं 12 बार पीड़ितों के परिवार से मिली हूं। मैंने हर बार कहा कि मेरे पास उनके जीवित रहने की कोई जानकारी नहीं है। मैंने उनसे हर बार कहा कि जो भी जानकारी है सब सूत्रों के हवाले से है।’

गौरतलब है कि यह घटना मोदी सरकार आने के 20 दिन बाद घटित हुई थी, जब इराक से भाग कर आए हुए एक युवक हरजीत ने बयान दिया था कि आईएसआईएस के लोगों ने उसके आंख के सामने उसके 39 भारतीय साथियों को मार दिया गया, लेकिन वह भाग कर आ गया। सुषमा ने कहा हरजीत के बयान में काफी विरोधाभास है क्योंकि हमने पूरे मोसुल का चप्पा चप्पा छान मारा लेकिन हमें ना ही कहीं लाशें मिली, ना हमें उनके खून के धब्बे मिले। आईएसआईएस की तरफ से भी कोई ऐसा बयान और वीडियो सामने आया, जैसा कि वह अक्सर करता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि इसके बाद हमने जो कार्यवाही किया, वह सदन को विश्वास में लेकर और सदन की अनुमति लेकर किया। बिना किसी ठोस सबूत के किसी को मृत मान कर हाथ पर हाथ डाल कर बैठ जाना एक आसान विकल्प है। उनकी फाइल तब तक बंद नहीं कर सकते हैं जब तक इस बारे में कोई ठोस सबूत ना मिल जाए।

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