देश के उस बढ़ते अर्थव्यवस्था का क्या मतलब जब किसी देशवासी की जान भूख से तड़पते हुए चली जाए। देश में नोटबंदी, जीएसटी और कालेधन लाने से क्या लाभ जब किसी गरीब को दो वक्त की रोटी भी नसीब न हो। एक बार फिर किसी की जान भूख ने लील ली। उत्तर प्रदेश के बरेली में एक महिला ने भूख से दम तोड़ दिया।  महिला कई दिनों से बीमार थी और वह कमजोरी के कारण राशन नहीं ला पा रही थी और राशन दुकानदार ने उसके पति को राशन देने से इंकार कर दिया था। दरअसल, महिला का पति जब राशन लेने दुकान पर गया तो दुकानदार ने कहा कि तुम्हारी पत्नी के फिंगरप्रिंट के बिना राशन नहीं मिलेगा। बीमार पड़ी महिला उठकर दुकान तक जाने के लिए सक्षम नहीं थी। ऐसे में महिला ने बुधवार को दम तोड़ दिया।

बता दें कि यह तीसरा मामला है जब नियम-कानून के चलते किसी परिवार को राशन नहीं मिल पाया और परिवार के सदस्य की मौत हो जाती है। इससे पहले दो मामले झारखंड से सामने आए थे। जहां राशन कार्ड से आधार कार्ड लिंक नहीं था, जिसकी वजह से राशन नहीं मिला और एक युवक और एक 11 साल की बच्ची की भूख से मौत हो गई। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। एसडीएम ने बताया कि मृतक महिला के नाम पर अंत्योदय कार्ड है। बता दें कि अंत्योदय योजना के तहत नए राशन कार्ड जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत परिवार की सबसे श्रेष्ठ महिला को मुखिया के तौर पर रखा गया है। योजना के तहत जन वितरण दुकान से लाभ लेने वालों को आधार से जोड़ा गया है। जानकारी के मुताबिक घर में राशन खत्म हो गया था। बीमारी के कारण सकीना राशन लेने दुकान पर नहीं जा सकती थी। उसके पास बीपीएल कार्ड था। सकीना ने कार्ड लेकर अपने पति को राशन लेने के लिए भेजा, लेकर राशन डीलर ने सकीना के पति को राशन देने से इनकार कर दिया। काफी मिन्नतें करने के बाद भी दुकानदार ने उसे खाली हाथ वापस लौटा दिया।

रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीनें विश्वबैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की विकास दर में गिरावट का दावा किया था। उसके बाद अब वैश्विक भूख सूचकांक में देश के 100वें स्थान पर होने के शर्मानक खुलासे ने देश के विकास और प्रगति की असली तस्वीर पेश कर दी है। वॉशिंगटन स्थित इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईएफपीआरआई) की ओर से वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100वें स्थान पर है। इससे पहले बीते साल भारत 97वें स्थान पर था। यानी इस मामले में साल भर के दौरान देश की हालत और बिगड़ी है। ऐसे में मोदी सरकार की यह जवाबदेही बनती है कि वो बताएं कि भारत से भूखमरी कब मिटेगी। उनकी योजनाओं में गरीब कब तक पिसता रहेगा।

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