1 दिसम्बर को विश्‍व एड्स दिवस मनाया जाता है। लोगों में इस वायरस के प्रति जागरूक लाने के लिए जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद यूनिसेफ की तरफ से जो रिपोर्ट सामने आई है वह चौकाने वाली है।

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2017 तक करीब 1.20 लाख बच्चे और किशोर एचआईवी संक्रमण से पीड़ित हैं। रिपोर्ट में कहा गया है ‘चिल्ड्रन, एचआईवी और एड्स: द वर्ल्ड इन 2030′ के मुताबिक पाकिस्तान में 5800, उसके बाद नेपाल में 1600 और बांग्लादेश में (1000 से कम) लोग एचआईवी का शिकार हैं।

यूनिसेफ ने चेताया है कि अगर इसे रोकने की कोशिशें तेज नहीं की गईं तो 2030 तक हर दिन दुनियाभर में एड्स की वजह से 80 किशोरों की मौत सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया ने बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और माताओं में एचआईवी की रोकथाम के लिए जरूरी प्रयास किए हैं।

क्या है एचआईवी? यह सवाल सबके मने में रहता है। यह एक वायरस है, जो शरीर की रोग-प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रहार करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है। यह लाइलाज बीमारी एड्स का कारण है।

यह वायरस असुरक्षित यौन संबंध बनाने और संक्रमित रक्त के जरिए शरीर में फैलता है। एचआइवी संक्रमण को एड्स रोग बनने में 8 से 9 साल लग जाते हैं। इस वायरस का पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में अफ्रीका में पता चला। 1980 तक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गया।

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