नमाज चाहे बांग्लादेशी पढ़े या हिन्दुस्तानी, रोड पर पढ़े या किसी के घर के बाहर। लेकिन अगर विरोध करना है तो नमाज के बाद भी किया जा सकता था। ऐसे में मुस्लिमों को उस समय जुमे की नमाज से रोकना क्या उचित है जब वो नमाज पढ़ने जा रहे हों। देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुड़गांव में कथित तौर पर हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को कई जगह जुमे की नमाज नहीं पढ़ने दी। गुड़गांव पुलिस का कहना है कि नमाज स्थलों पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी थी और कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। कुछ तथाकथित हिन्दुवादी संगठन पिछले दो सप्ताह से गुड़गांव में नमाज में बाधा डाल रहे हैं।

पुलिस के मुताबिक, हिंदूवादी संगठनों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ लोग जमीन पर कब्जा करके उसे मस्जिद में मिलाना चाहते हैं। संगठन का ये भी आरोप है कि ये लोग बांग्लादेशी हैं और इन लोगों को देश से निकल जाना चाहिए। नमाजियों में डर पैदा करने के लिए ये हिंदूवादी कार्यकर्ता ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगा रहे थे। पुलिस का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग वजीराबाद, अतुल कटारिया चौक, साइबर पार्क, बख्तावर चौक, आदि जगहों पर जुमे की नमाज पढने के लिए जमा हुए थे। हालांकि उन्हें नमाज पढ़ने से रोकने के लिए वहां विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल, हिन्दू क्रांति दल, गऊ रक्षक दल और शिवसेना के सदस्य भी पहुंच गये।

हिंदूवादी संगठनों ने नमाजियों पर आरोप लगाया है कि गुड़गांव शहर में बढ़ रहे अपराधों के लिए यही (नमाजी) लोग जिम्मेदार हैं। हालांकि, इस दौरान पुलिस बल तैनात रहा, लेकिन अधिकतर जगह मूकदर्शक की स्थिति बनी रही। नमाज में खलल डालने वालों की जब वीडियो बनाई जाने लगी, तो हुड़दंगी चले गए।

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