सुप्रीम कोर्ट में आज कश्मीर में पैलेट गन के प्रयोग से सम्बंधित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन से पूछा कि क्या पैलेट गन का प्रयोग रोक देने से कश्मीर में शांति बहाली हो जाएगी? कोर्ट ने इस मामले में आगे टिपण्णी करते हुए कहा कि अगर बार एसोसिएशन इस बात का भरोसा दिलाये तो कोर्ट केंद्र सरकार से दो हफ़्तों के लिए पैलेट गन के इस्तेमाल पर रोक लगाने को कहेगी ताकि आगे की बातचीत हो सके।

इससे पहले इसी मामले की सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कोर्ट में यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार शांति बहाली प्रक्रिया में लगी हुई है। राजनीतिक दलों के अलावा कानूनी मान्यता प्राप्त प्रतिनिधियों से भी सरकार बातचीत कर समस्या का हल निकलने को तैयार है। लेकिन अलगाववादियों से कोई बातचीत नहीं होगी। आपको बता दें कि बार एसोसिएशन वार्ता में अलगाववादियों को भी शामिल करने की मांग करता रहा है।

इस मामले की सुनवाई कर रहे प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने बार एसोसिएशन से कहा कि आप ये दलील नहीं दे सकते कि आप पत्थरबाज़ों और अलगाववादियों की नुमाइंदगी नहीं करते हैं। अगर आप यहाँ तक पहुंचे हैं तो सभी पक्षों से बात कर हल निकालने की ज़िम्मेदारी भी आपकी है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “यदि आप संविधान के ढांचे के भीतर कुछ सुझाव देते हैं तो हम आपको भरोसा देते हैं कि बातचीत की जाएगी।” मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी। पीठ ने केन्द्र सरकार को भी स्पष्ट कर दिया है कि न्यायालय इस मामले में खुद को तभी शामिल करेगा जब ऐसा लगता हो कि वह एक भूमिका निभा सकता है और इसमें अधिकार क्षेत्र का कोई मुद्दा नहीं हो।

सर्वोच्च न्यायालय में सरकार द्वारा अलगाववादियों को लेकर दिया गया दो टूक जवाब और कोर्ट द्वारा बार एसोसिएशन को दिए गए निर्देश के बात यह तो स्पष्ट है कि सरकार अब समझौते के मूड में नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में अगली सुनवाई में कोई बड़ा फैसला सुना सकता है। हालंकि सरकार पैलेट गन के इस्तेमाल को लेकर पहले ही कोर्ट में यह बता चुकी है कि इसका उपयोग आपात स्थिति में ही होता है और सरकार पैलेट गन के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रही है।

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