भारत में किसानों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। किसान कर्ज के बोझ में दबा हुआ है और कर्ज न चुका पाने पर आत्महत्या करने को मजबूर है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में किसानों के कर्ज माफ करने की बात कही थी और शायद इसी अहम मुद्दे को लेकर बीजेपी ने यूपी में भारी बहुमत की सरकार भी बनाई।

सरकार बनाने के बाद किसानों के हित के लिए अहम फैसला लेते हुए राज्य सरकार ने पहली बैठक  में ही किसानों का एक लाख रूपये तक का कर्ज माफ कर दिया है। हालांकि कांग्रेस ने बीजेपी के इस फैसले को ऊंट के मुंह में जीरे जैसा  बताया, उन्होंने कहा कि बीजेपी ने किसानो का पूरा कर्ज माफ करने की बात कही थी। हालांकि यूपी में एक लाख रुपये का कर्ज माफ करने के बाद बीजेपी की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं बल्कि बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। भारत में यूपी के अलावा और भी राज्यों के किसान कर्ज के बोझ में दबे हुए है। यूपी के किसानों का कर्ज माफ होने के बाद हरियाणा के किसान भी अपना कर्ज माफ करने की मांग पर अड़ गए है। हरियाणा के किसानों का कहना है कि यूपी में बीजेपी सरकार की तरह मनोहरलाल खट्टर सरकार भी यहां के किसानों का कर्ज माफ करें क्योंकि हरियाणा में भी बीजेपी की सरकार है। हरियाणा के किसानों के समर्थन में इनेलो और कांग्रेस भी उतर आए हैं।

हरियाणा में करीब साढ़े 16 लाख किसानों में से 15 लाख किसान कर्ज के बोझ में दबे हुए हैं। प्रदेश में पहले से ही किसान यूनियन कर्ज माफी की मांग करते आ रहे है। हालांकि इस गंभीर मुद्दे के चलते पूर्व की कांग्रेस सरकार ने किसानों का 27 हजार करोड़ का कर्जा माफ कर दिया था लेकिन फिर से किसानों पर 36 हजार करोड़ रूपए का क़र्ज़ ले लिया है। यूपी के किसानों का कर्जा माफ होते ही हरियाणा के किसान संगठन ने कर्ज माफ किए जाने के लिए आंदोलन करने की बात भी कही है। उनका कहना है कि अगर जल्द ही हरियाणा के किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया तो वह सड़को पर उतर आएंगे।

यूपी में किसानों का कर्ज माफ करके बीजेपी ने भले ही बहुत अच्छा कार्य किया है और अपना वादा निभाया है लेकिन अगर हरियाणा के किसान क़र्ज़ माफ़ी की मांग को लेकर अड़े रहे तो यह हरियाणा की बीजेपी सरकार के लिए  परेशानी का सबब बन सकता है।

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