भले ही सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चला रही हो लेकिन अभी भी कई जगहों पर बेटी के मन मर्जी के बिना उनकी शादी करा दी जाती है। लेकिन आज के आधुनिक समय में बेटियां खुद इतनी जागरुक हो गई हैं कि वो अब अपना हक समझने लगी हैं। वो भी अपनी शिक्षा, अपनी परवरिश और अपने हक के लिए अपने परिवार और पूरे समाज से लड़ाई लड़ने लगी है। ऐसी ही एक लड़ाई जीती है बिहार की बेटी ने जिसने अपनी शादी का विरोध किया और आगे पढ़ने की मांग की। पटना के बिहटा के श्रीरामपुर की नौवीं कक्षा की छात्रा हंसिका की शादी तय कर दी गई थी। वर पक्ष के लोग लगन-पान लेकर आए थे। तीन दिन बाद मंदिर में शादी थी,मगर वह पढ़ना चाहती है, कुछ बनना चाहती है। वह थाने पहुंची और थानेदार को सारी बता बताई।

थाना प्रभारी हंसिका के साथ घर आए और परिजनों को समझाया। कानून का डर भी दिखाया। नतीजतन हंसिका की शादी टाल दी गई। बेटी की इस हरकत से भले ही माता-पिता नाराज हैं लेकिन पूरा समाज गौरवान्वित है। दरअसल, 15 वर्षीय हंसिका के माता-पिता ने शादी तय कर दी थी और 20 जुलाई को शादी भी होने वाली थी लेकिन हंसिका को शादी करना मंजूर नहीं था। कारण था कि हंसिका पढ़ना चाहती थी और पुलिस ऑफिसर बनना चाहती है इसलिए वो  इस शादी के खिलाफ थी।

आखिरकार, घर आए लड़के पक्ष को हंसिका ने वापस लौटा दिया और बाल विवाह का विरोध भी किया।

बता दें कि  हंसिका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।  हंसिका की पांच बहनें और एक भाई है. खुद हंसिका अपने नानी घर में रहकर पढ़ाई करती थी। खबरों के मुताबिक, हंसिका के इस कदम के बाद राज्य सरकार हंसिका को बाल विवाह निषेध कानून का अंबेसडर बनाने पर विचार कर रही है।

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