Guru Gobind Singh Jayanti: गुरुगोविंद सिंह की जयंती पर पढ़ें उनके अनमोल विचार

0
268
Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Gobind Singh Jayanti

Guru Gobind Singh Jayanti: गुरुगोबिंद सिंह की आज 133वीं जयंती है। इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। गोरुगोबिंद सिंह जी सिखों के 10वें गुरु हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह की सप्तमी तिथि पर गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। इन्हें बचपन में गोबिंद राय के नाम से पुकारा जाता था। इनके पिता सिख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी जिसे सिख धर्म में प्रमुख माना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह जी ने ही वाहे गुरु की फतेह, वाहे गुरु का खालसा का नारा दिया था।

Guru Gobind Singh Jayanti: 9 वर्ष की आयु में संभाली जिम्मेदारी

Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Gobind Singh Jayanti

Guru Gobind Singh Jayanti पर पढ़ें उनके अनमोल विचार

Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Gobind Singh Jayanti

मुगल शासक औरंगजेब ने इनके पिता गुरु तेग बहादुर को इस्लाम धर्म कबूल करने मजूबर किया था लेकिन इन्होंने मुगलों के आगे नहीं झुके और इस्लाम धर्म कबूल करने से इंकार दिया। तब औरंगजेब ने नवंबर 1675 में इनका सिर कलम कर दिया था। तब गुरु गोबिंद सिंह को मात्र 9 वर्ष की अल्पायु में सिख धर्म के 10वें गुरु पर आसीन हुए।

जब बाकी तरीके विफल हो जाएं
तो हाथ में तलवार उठाना सही है।

अगर आप सिर्फ भविष्य की सोचते हैं
तो वर्तमान को भी खो देंगे।

वह व्यक्ति हमेशा खु दो को अकेला पता है
जो लोगों के लिए जुबान पर कुछ और
दिल में कुछ और ही रखता है।

परमपिता परमेश्वर के नाम के अलावा कोई भी आपका मित्र नही है
ईश्वर के सेवक इसी का चिंतन करते है
और ईश्वर को ही देखते है।

बिना गुरु के किसी को भगवान की प्राप्ति नही होती है।

Guru Gobind Singh के विचार

Guru Gobind Singh Jayanti
Guru Gobind Singh Jayanti

जो लोग सच्चाई के मार्ग का अनुसरण करते है
और लोगों के प्रति दया का भाव रखते है
ऐसे लोगो के प्रति ही लोग करुणा और प्रेम का भाव रखते है।

यदि तुम असहाय और कमजोरों पर तलवार उठाते हो
तो एक दिन ईश्वर भी आपके ऊपर अपना तलवार चलायेंगा।

स्वार्थ ही बुरे कर्मो के जन्म का कारण बनता है।

आपने ब्रह्माण्ड की रचना की, आप ही सुख-दुःख के दाता हैं।

हे ईश्वर मुझे आशीर्वाद दें कि मैं कभी अच्छे कर्म करने में संकोच ना करूँ।

संबंधित खबरें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here