केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘‘पॉक्सो’’ कानून को और मजबूत करने के लिए इसमें संशोधन को  शुक्रवार को मंजूरी दे दी। इसमें बच्चों के आक्रामक यौन उत्पीड़न करने पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, 18 साल से कम आयु के बालक/ बालिका के खिलाफ अन्य अपराधों के लिए कठोर दंड मिलेगा। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण होना चाहिए और मंत्रिमंडल ने यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में संशोधन को मंजूरी दी है।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रसाद ने कहा कि पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा – चार, पांच, छह, नौ, 14,15 और 42 में संशोधन बाल यौन अपराध के पहलुओं से उचित तरीके से निपटने के लिए किया गया है। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अधिनियम की धारा चार, पांच और छह में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि बच्चों का आक्रामक यौन उत्पीड़न करने के मामले में मौत की सजा सहित कठोर सजा का प्रावधान हो सके। यह संशोधन देश में बाल यौन अपराध की बढ़ती हुई प्रवृति को रोकने के लिए कठोर उपाय करने की जरूरत के तहत किया जा रहा है।

इसके मुताबिक यह अधिनियम 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा परिभाषित किया गया है। यह लैंगिक रूप से निरपेक्ष कानून है। संशोधन में प्राकृतिक संकटों और आपदाओं के समय बच्चों  के यौन अपराधों से संरक्षण और आक्रामक यौन अपराध के उद्देश्या से बच्चों की जल्द  यौन परिपक्वोता के लिए उन्हें किसी भी तरीके से हार्मोन या कोई रासायनिक पदार्थ देने के मामले में अधिनियम की धारा- नौ में संशोधन करने का भी प्रस्ताकव किया गया है।

बाल पोर्नोग्राफी की बुराई से निपटने के लिए पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा – 14 और धारा-15 में भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। बच्चोंई से संबद्ध पोर्नोग्राफिक सामग्री को नष्टो नहीं करने/डिलीट नहीं करने पर जुर्माना लगाने का प्रस्ता व किया गया है।

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