उत्तर प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति देश छोड़ कर भागने की फिराक में है। खुफिया जांच एजेंसियों को यह जानकारी मिली है कि गायत्री नेपाल या दुबई भाग सकते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने देश भर के हवाई अड्डों और यूपी की सीमा से जुड़े क्षेत्रों पर तैनात सुरक्षों बलों को अलर्ट कर दिया है। जिससे आरोपी मंत्री पर नजर रखी जा सके। इस मामले पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा है कि दोषी को पकड़ने में राज्य सरकार पुलिस की पूरी सहायता कर रही है। उन्होंने कहा है कि अगर गायत्री हमारे घर में हैं तो जाओं उन्हें निकाल कर ले आओ। अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच चल रही है। दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।

जानकारी के मुताबिक, गायत्री के कुछ खास लोगों की फोन टैपिंग के जरिए उनके फरार होने की खबर मिली है। जिसमें वह लोग गायत्री को सीमा के पार भेजने का इंतजाम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में यूपी पुलिस को 8 मार्च तक अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी है। सवाल यह उठता है कि जब सीएम भी गायत्री की गिरफ्तारी चाहते हैं तो फिर पुलिस गायत्री तक क्यों पहुंच नहीं पा रही है?

पुलिस कभी भी मंत्री के आरोपों को लेकर गंभीर नहीं हुई। पहले पुलिस ने गायत्री के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया  और जब सुप्रीम कोर्ट के फटकार लगाने पर केस दर्ज हुआ तो गिरफ्तारी नहीं हुई अंत में अब जब गिरफ्तारी के लिए पुलिस निकली है तो गायत्री प्रजापति फरार हो गए हैं।

वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव ने इन बातों को देखते हुए कहा कि गायत्री को कानून से भागने के बजाए तुरंत सरेंडर कर देना चाहिए। गायत्री को विधानसभा चुनाव में टिकट देने पर भी सीएम ने सफाई देते हुए कहा कि कभी- कभी मजबूरी में टिकट देना पड़ता है। केस को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी लखनऊ एम सैनी ने कहा कि अगर पीड़िता केस के जांच अधिकारी से संतुष्ट नहीं होगी तो जांच अधिकारी को निश्चित तौर पर बदल दिया जाएगा।

पीड़ित महिला के मुताबिक, गायत्री और उसके 6 साथियों ने उसके साथ गैंगरेप के बाद उसकी नाबालिग बेटी के साथ भी बलात्कार की कोशिश की थी। केस दर्ज होने के बाद भी गायत्री 27 फरवरी तक अपने चुनावी क्षेत्र अमेठी में आराम से घूमते रहे और अब पुलिस उसे फरार बता रही है। देखा जाए तो यह पुलिस की बड़ी लापरवाही का संकेत है जो अभी तक पीड़िता को इंसाफ नहीं मिल पाई है।

गायत्री से उनकी वाई श्रेणी की सुरक्षा हटा ली गई है। गौरतलब है कि “वाई” श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति को एक या दो कमांडो समेत 11 सुरक्षाकर्मियों का कवच उपलब्ध कराया जाता है।

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