गंगा को लेकर सरकार सख्त हो गई है। वैसे भी मोदी सरकार और योगी सरकार ने गंगा को लेकर कई वादे किए थे। लेकिन धरातल पर गंगा का हाल वैसा ही है जैसा पहले था। इस मामले में कोर्ट ने भी सरकार को फटकार लगाई थी क्योंकि गंगा पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी सरकार गंगा को साफ करने में नाकाम रही। अब गंगा को लेकर सरकार और भी सख्त हो गई है। सरकार ने गंगा विधेयक 2018 प्रस्तावित किया है। जिसमें गंगा प्रोटेक्शन कॉर्प्स की नियुक्ति का सुझाव दिया गया है। सरकारी दस्तावेजों और मामले से संबंधित लोगों का कहना है कि इनके पास उन लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार होगा जो नदी को प्रदूषित करेंगे। यह नदी को साफ रखने और कायाकल्प करने में मदद करेंगे। राष्ट्रीय गंगा काउंसिल की मांग पर इन पुलिसवालों का खर्च गृह मंत्रालय उठाएगा।

वहीं दूसरी तरफ  एवरेस्ट विजेता व पद्मश्री से सम्मानित बछेंद्री पाल का कहना है कि गंगा की सफाई से पहले आस्था के नाम पर समाज में फैले अंधविश्वास की सफाई जरूरी है, तभी गंगा अविरल, स्वच्छ व निर्मल होगी। गंगा को बचाने के लिए बछेंद्री की सेना पिछले एक महीने से मिशन गंगे अभियान पर थी। पांच अक्टूबर से हरिद्वार से शुरू हुआ यह अभियान मंगलवार को पटना में खत्म हुआ। अभियान दल में सात एवरेस्ट विजेता सहित 40 लोग शामिल थे।

वैसे बता दें कि राषट्रीय गंगा काउंसिल  पांच विशेषज्ञों की एक टीम है जिनके पास किसी उद्योग, बांधों और अन्य ढांचों के निर्माण को बंद करने या उनका विनियमन करने का अधिकार है जिनसे कि नदी के सतत प्रवाह पर असर पड़ता हो। साथ ही वह उस गतिविधि पर रोक लगा सकते हैं जिससे कि नदी प्रदूषित होती है। इस विधेयक का उद्देश्य़ गंगा का जीर्णोद्धार करके उसका प्राचीन स्वरुप लौटाकर उसके निर्बाध प्रवाह को सुनिश्चित करना है। गंगा अधिनियम के तहत दंडनीय अपराधों और जुर्माना की लंबी सूची है जिसमें घाट को खराब करना या सीढ़ियों को नुकसान पहुंचाना या नदी में कोई अपमानजनक चीज फेंकना शामिल है। इन अपराधों में 50 हजार का जुर्माना और दो साल तक का कारावास हो सकता है।

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