तृणमूल को मतदाताओं को डराना-धमकाना बंद करना चाहिए, अन्यथा संविधान में इससे निपटने के प्रावधान मौजूद हैं। यह धमकी बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) ने बंगाल हिंसा के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को दी थी। टीएमसी (TMC) को संविधान सिखाने वाले और ममता दीदी को धमकाने वाले बाबुल सुप्रियो का पत्ता जब कैबिनेट 2.0 के विस्तार में साफ हो गया तो उन्होंने 18 सिंतबर को बीजेपी का कमल छोड़ टीएमसी का फूल थाम लिया।
दिल ने दिल को पुकारा..गाने से मिली पहचान
बाबुल सुप्रियो अब बीजेपी के पूर्व सांसद हो गए हैं और टीएमसी के वर्तमान नेता बन गए हैं। उन्होंने आज पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) की मौजूदगी में टीएमसी (TMC) ज्वाइन कर लिया। टीएमसी में आने वाले बाबुल सुप्रियो की यात्रा बीजेपी में भी काफी शानदार थी। प्लेबैक सिंगर से लेकर उन्होंने राजनीति में शानदार सफर तय किया है।
“कहो ना प्यार है” यह फिल्म आज भी लोगों के जहन में है। फिल्म में ऋतिक रोशन और अमीशा पटेल लीड रोल में थी। फिल्म साल 2000 में आई थी। इस फिल्म का एक गाना था “दिल ने दिल को पुकारा” इस गाने को आवाज देने वाले बाबुल सुप्रियो ही थे। गाना इतना हिट हुआ कि बाबुल सुप्रियो सभी के प्यारे बन गए। यहां से उनका स्टारडम शुरू हुआ। इसके बाद फना, हंगामा, हम तुम जैसे तमाम गाने गाए।
बाबा रामदेव के कहने पर राजनीति में आएं
15 दिसंबर, 1970 को पश्चिम बंगाल के उत्तरपाड़ा में जन्मे बाबुल सुप्रियो ने हिंदी, बंगाली समेत 14 भारतीय भाषाओं में गाने गाए हैं।
बाबुल सुप्रियो का राजनीति में आने का सफर थोड़ा फिल्मी है और किस्मत भरा है। यह मौका सभी को नहीं मिलता है। दरअसल एक दिन वे विमान में सफर कर रहे थे उसी दौरान बाबुल की मुलाकात योग गुरु बाबा रामदेव से हुई। बाबा रामदेव ने उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया। उसी समय यानी कि 2014 में लोकसभा चुनाव भी होने वाला था। फिर क्या था बाबा की बातों पर अमल करते हुए सुप्रियो ने बीजेपी का दामन थाम राजनीतिक यात्रा शुरू कर दी।
2014 में बंपर जीत
बीजेपी ने आसनसोल सीट से उन्हें टिकट दिया और वह भारी बहुमत से जीतकर पहली बार सांसद बने। उन्हें केंद्र की बीजेपी सरकार में सबसे कम उम्र का मंत्री बनने का अवसर मिला। उन्हें शहरी विकास मंत्रालय, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था। बाद में उनको भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय दिया गया।
बीजेपी के साथ सुप्रियो का सफर यहां तक मजेदार चल रहा था। फिर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने बाबुल सुप्रियो को आसनसोल सीट से ही टिकट दिया। एक बार फिर भारी वोटों से वह यहां से जीतकर संसद पहुंचे। इस बार भी उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। उन्हें पर्यावरण और वन राज्य मंत्री पद मिला।
कैबिनेट 2.0 के विस्तार में दिया इस्तीफा
लेकिन उनकी यात्रा को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 की नजर लग गई। दरअसल पश्चिम बंगाल में होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी भारतीय जनता पार्टी आलाकमान ने बाबुल को दी थी। साथ ही बीजेपी ने उन्हें टॉलीगंज विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में भी उतार दिया। हालांकि सुप्रियो विधायकी का चुनाव हार गए। बाबुल के नेतृत्व में बीजेपी को राज्य में 77 सीट मिली थी यह आंकड़ा अब तक के राज में सबसे अधिक था लेकिन बीजेपी की जीत चाहिए थी और वह जीत बाबुल सुप्रियो पार्टी को नहीं दिला सकें।
इस हार के बाद बारी आ गई मोदी कैबिनेट 2.0 के विस्तार की। कैबिनेट विस्तार जुलाई में हुआ, यह विस्तार ऐतिहासिक कहा गया था क्योंकि पार्टी ने रवि शंकर प्रसाद, पीयूष गोयल जैसे बड़े मंत्रियों का इस्तीफा ले लिया था। इसी में बाबुल सुप्रियों को भी इस्तीफी देना पड़ा था। यहां से बीजेपी के साथ उनका सफर खत्म होने लगा।
फेसबुक पर बया किया था दर्द
इस्तीफे के बाद बाबुल सुप्रियो ने फेसबुक पर बड़ा सा पोस्ट लिखकर कहा था कि उनसे इस्तीफा देने के लिए कहा गया था। सुप्रियो ने पीएम मोदी को मंत्रिपरिषद में जगह देने के लिए धन्यवाद दिया था। उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि उनके ऊपर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं है। इसके साथ ही राजनीति से संन्यास लेने का भी ऐलान कर दिया था। पर यह तो सत्ता का लोभ है इसकी माया से वो कैसे बच सकता है जिसने सत्ता की गद्दी पर खूब वक्त गुजारा हो। अपने बयान से मुकरते हुए उन्होंने टीएमसी ज्वाइन कर लिया।
बताया जा रहा था कि कि बंगाल चुनावों में बीजेपी की हार को लेकर पार्टी का एक गुट बाबुल सुप्रियो को जिम्मेदार ठहरा रहा है था। केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा लिए जाने के बाद यह भी चर्चा चलने लगी थी कि सुप्रियो केंद्रीय नेतृत्व से नाराज हैं।
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