आंसू हैं कि, रूकने का नाम ही नहीं ले रहें हैं…गस्त खाता शरीर और संभालते लोग…विलाप का ऐसा नजारा कि कलेजा हिल जाए…वाराणसी फ्लाई ओवर हादसे में काल के गाल में समाए लोगों के परिजनो के बीच यही मंजर है…लेकिन, रोती हुई ये वहीं बिंदू हैं जिनके पति सुदर्शन बस चला रहें थे…लखनऊ से वाराणसी आते वक्त फ्लाई ओवर के बीम ने न केवल इनके पति के बस के पहिये को रोका…बल्कि जिंदगी के पहिये को भी हमेशा के लिए थाम दिया…बिंदू को बस इतना याद है कि घटना के एक दिन पहले सुदर्शन घर से निकले थे…हादसे के दिन दोपहर में फोन पर घर आने की बात कहीं थी…लेकिन अब सुदर्शन कभी नहीं आ सकेंगे…

सुदर्शन के साथियो ने दर्घटना का भयावता को बयां किया…फ्लाईओवर के बीम ने सुदर्शन के शरीर के कई टुकड़े कर दिये…भागते दौड़ते परिजनों ने शवों के हिस्सों के बीच एक पैंट की जेब से सुदर्शन का आधार कार्ड पाया…इसी से उनकी पहचान हो सकी…सुदर्शन वाराणसी से लखनऊ रोजवेज की बस लेकर जाते थे…अब उनके परिवार में उनकी पत्नी, 2 बेरोजगार बेटे और एक बेटी है…सुदर्शन के साथी सीधे सीधे इस घटना के लिए शासन-प्रशासन को जिम्मेदार मान रहें हैं…

सुदर्शन जैसे कई लोग हैं जो इस हादसे का शिकार हो गए…कईयों की मौत से उनका परिवार ही टूट गया है…प्रशासनिक निकम्मेपन से पैदा हुए तांडव में जो जिदंगियां खत्म हुईं हैं उनकी संख्या को तो उंगली पर गिना जा सकता है, लेकिन उन जिंदगियों की पीड़ा देखकर दिल जार-जार हो जाता है जो अपने परिवार के कमाऊ पूत थे, उनकी खुशियों के सबसे मजबूत बीम थे…

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