“किसान क्रांति यात्रा” के जरिए किसानों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। ये किसान अपनी सभी मांगों को पूरा किए जाने की जिद पर अड़ चुके हैं। इनका कहना है कि सरकारे आती रहीं-जाती रहीं, भरोसा दिया जाता रहा लेकिन किसी ने भी उनकी मांगों को पूरा करने का बीड़ा नहीं उठाया। हालांकि किसानों की इस बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आई।

गृहमंत्री के नेतृत्व में किसानों से बातचीत भी हुई, जिसमें 11 में से 7 मांगों पर सहमति बन गई लेकिन किसान अपनी बाकी की मांगों को पूरा किए जाने की जिद पर अड़ गए हैं। इन किसानों का कहना है कि इनकी जो प्रमुख मांगे थीं। उस पर सरकार तैयार नहीं है। ऐसे में उनका ये आंदोलन जारी रहेगा। उधर किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीति भी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि किसानों पर बर्बरता के साथ बीजेपी का गांधी जयंती समारोह शुरु हुआ है।

मोदी सरकार में किसानों की नौबत ये आ चुकी है कि वो देश की राजधानी आकर अपना विरोध भी दर्ज नहीं करा सकते। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पीछे नहीं रहे। किसानों को दिल्ली की सामी में रोके जाने का उन्होंने विरोध तो किया ही। साथ ही किसानों की मांग को भी जायज ठहराया। वहीं सरकार की सहयोगी JDU ने भी आंदोलन से निपटने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे में सवाल इस बात को लेकर उठ रहे हैं कि आखिर कब वो अन्नदाता भूख से तड़प-तड़प कर दम तोड़ता रहेगा। जिसकी मेहनत से देश का पेट भरता है। कब तक किसान अपनी मांगों को लेकर लाठियां खाने को मजबूर होता रहेगा और कब तक खुद को किसानों का हमदर्द बताने वाली सियासी पार्टियां किसानों के मुद्दे पर सियासत करती रहेंगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here